नकली चेक, नकली सिग्नेचर से बैंक ऑफ इंडिया के खाता से 10 लाख की निकासी
नकली चेक, नकली सिग्नेचर से बैंक ऑफ इंडिया के खाता से 10 लाख की निकासी
बरबीघा, शेखपुरा
शेखपुरा जिले के बरबीघा के श्री कृष्ण चौक पर संचालित बैंक ऑफ इंडिया में एक बुजुर्ग के खाता से नकली चेक और नकली सिग्नेचर के माध्यम से 10 लाख की निकासी कर लिया गया। इतना ही नहीं इस निकासी में पहले बैंक का मोबाइल नंबर बदल दिया गया । फिर 11 अप्रैल को नकली चेक देकर एक बार में ही आरटीजीएस के माध्यम से महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी के खाता पर पैसा भेज दिया गया।
इस पूरे मामले का खुलासा 10 मई को तब हुआ जब बुजुर्ग के द्वारा पासबुक बैंक में अपडेट कराया गया । यह घटना बरबीघा थाना क्षेत्र के बलवा पर गांव निवासी देव लाल साव गुप्ता के साथ हुआ है ।
इस आशय की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 10 मई को जब पासबुक अपडेट कराया तो ₹9 लाख 90 हजार आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर होने की बात सामने आई।
शाखा प्रबंधक से छानबीन जब उनके द्वारा किया गया तो उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी स्मित दयानंद यादव के एचडीएफसी बैंक के खाते में पैसा ट्रांसफर होने की बात कही । इसकी शिकायत बैंक ऑफ इंडिया के वरीय अधिकारियों को किया तो गया से टीम भी पहुंची और छानबीन में मामला संदिग्ध पाया ।
उन्होंने बताया कि बैंक मैनेजर सिंटू कुमार और अन्य कर्मियों के मिलीभगत से पैसे की निकासी कर ली गई। उन्होंने आरोप लगाया कि जो चेक 2019 में गलत हस्ताक्षर की वजह से उन्होंने फाड़ कर फेंक दिया उसके बाद 19 चेक का ट्रांजैक्शन की। फिर 2019 के चेक को नकली चेक बनाकर उस पर नकली हस्ताक्षर करते हुए पैसे की निकासी कर ली गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि 2019 में एक चेक खराब होने की जानकारी केवल बैंक के पास ही रहती है। इस मामले में मिशन में प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया गया है। उन्होंने बताया कि बैंक में सबसे पहले मोबाइल नंबर बदल दिया गया । जिसके बाद निकासी हुई तो उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ ना ही मोबाइल पर मैसेज आया। उधर, इस संबंध में पूछे जाने पर बरबीघा बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक सिंटू कुमार ने बताया कि वह छुट्टी पर आ गए हैं। इस मामले में उन्हें खास जानकारी नहीं है। बैंक के द्वारा मामले की जांच की जा रही है। वहीं मिशन ओपी प्रभारी निक्की रानी ने बताया कि आवेदन अभी आप्राप्त है। मिलने के बाद कार्रवाई होगी। उधर इस मामले में बुजुर्ग ने बताया कि जब शाखा प्रबंधक से उन्होंने इसकी जानकारी दी तो शाखा प्रबंधक के द्वारा मामले को मैनेज करने का दबाव भी दिया गया और बोला गया कि धीरे-धीरे कर पैसे की वापसी हो जाएगी परंतु गया से आए बैंक की टीम ने पुलिस में जाने के लिए कहा।
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