प्रवासी श्रमिक: भटकने की बदकिस्मती और दर्द की दास्तान
एडिटर डेस्क/शेखपुरा: बिहार
देशभर में प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा और बदहाली की कहानी कही जा रही है। कहीं सड़क हादसे में मौत हो रही है तो कहीं 2000 किलोमीटर परिवार के साथ यात्रा की दास्तान लिखी जा रही है। वहीं घर आने पर भी प्रवासियों को चैन नहीं।
इस्लामिया में उतरे रामाधीन गए
मंगलवार की अहले सुबह इस्लामिया स्कूल के पास बस से प्रवासी श्रमिक उतरे और लोग वहां संपर्क किया। पता चला कि रामाधीन कॉलेज जाना चाहिए। कहीं कोई पक्की जानकारी नहीं होने पर सभी पैदल रामाधीन कॉलेज गए। वहां से सभी को अपने पंचायत में जाने के लिए कह दिया गया। सभी लोग इधर-उधर भटकते देखे गए।
खेत में रात और दिन
कई गांव में प्रवेश नहीं दिया गया तो राहत केंद्र पर भी जगह नहीं है। वैसे में प्रवासी श्रमिक गांव के बाहर खेत और बगीचे में रात दिन बिता रहे हैं। कहीं झोपड़ी लगा लिया गया है तो कहीं बगीचे के नीचे जीवन कट रहा है। बेलछी गांव में कई लोग खेत में भीषण गर्मी में बोरा लगाकर रह रहे हैं जबकि शेखपुरा नगर के जमालपुर में रातभर बगीचे में बाहर से आए प्रवासी को बिताना पड़ा।
गांव गांव लोग हैं परेशान
प्रवासी श्रमिकों को कहां रखा जाए इसको लेकर उहापोह की स्थिति गांव में हैं। गांव में प्रवासी श्रमिकों के आने पर लोग प्रशासन पुलिस और मीडिया कर्मियों को कॉल करने लग जाते हैं। वैसे में गांव वालों को संतुष्ट नहीं किया जा सका है।
कई जगह घर में रह रहे हैं प्रवासी
कई जगह राहत केंद्र पर जगह नहीं मिलने के बाद प्रवासी अपने घर में रह रहे हैं। वैसे में गांव में तनाव भी देखा जा रहा है। कई जगह इसको लेकर झगड़े भी हो रहे हैं। जागरूक ग्रामीण ज्यादा सतर्क दिखाई दे रहे हैं। तो कई जगह लापरवाही में प्रवासी श्रमिक इधर-उधर घूम भी रहे।
पंचायत में बनाया गया है राहत केंद्र
सभी पंचायतों में स्कूलों को राहत केंद्र बनाया गया। कई जगह गांव से सटे स्कूल में राहत केंद्र बनाने का ग्रामीणों के द्वारा विरोध किया गया। जिसके बाद वहां से हटाकर दूर के सरकारी भवन में व्यवस्था की गई है।
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