बरबीघा नोटिफाइड एरिया से नगर पंचायत और नगर परिषद होने की दास्तां
बरबीघा नोटिफाइड एरिया से नगर पंचायत और नगर परिषद होने की दास्तां
गणनायक मिश्र
बरबीघा नगर परिषद चुनाव के मद्देनजर विगत कई महीनो से क्षेत्रीय सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाओं का दौर जारी है । कभी चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के सीटों के आरक्षित अनारक्षित होने के मसले पे , तो कभी चुनावी दंगल के नूरा कुश्ती के लिए उतरने वाले पहलवानों के चहरे को लेकर।अधिसूचित क्षेत्र होने से लेकर आज नगर परिषद होने तक कई परिवर्तन देखने वाला यह क्षेत्र आज भी मुद्दों से चली आ रही समस्याओं पे आठ– आठ आंसू बहाने को विवश है ।
यह अलग बात है गुजरते दौर में कई आधारभूत विकास के मानदंड भी स्थापित करने के प्रयास किए ।लेकिन उन मानदंडों की समीक्षा तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब पिछले कई वर्षों से चली आ रही जल निकासी , स्वच्छता, पशुओं के शमशान, बाजार क्षेत्र में महिला शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था जैसी समस्याएं वर्तमान में भी मुंह बाए खड़ा दिखती है ।
आजादी के बाद से ही प्रखंड और विधानसभा क्षेत्र होने का गौरव बरबीघा बड़े गर्व से अपने मजबूत विरासत के कंधे पे उठाए है । अधिसूचित क्षेत्र से नगर परिषद होने तक इस नगर के नागरिकों ने केवल जनगणना के आधार पे ही यह उपलब्धि नहीं पाई , निश्चित ही निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले अहर्ता को संतुष्ट किया गया होगा । पर आज यह सवाल जरूर उठता दिखाई देता है कि क्या वर्ष 2002 में 17 वार्डों की समस्याओं का निराकरण उपलब्ध एवम मुहैया कराए गए संसाधनों से प्रयाप्त रूप में हो सका ?? अगर नही हो सका तो क्या 2022 में निर्वाचन विभाग द्वारा 25+3 (नव गठित) = 28 वार्डों के समस्याओं के निराकरण और विकास युग का सूत्रपात हो पाएगा ??
वर्ष 2002 में 17 वार्ड, वर्ष 2007 में 23 वार्ड, पुनः 2017 में 26 वार्ड से बढ़कर 2022 में आज 28 वार्डों तक पहुंचने वाला यह नगर क्षेत्र, बढ़ती जनसंख्या घटते संसाधनों और ठहरे हुए से विकास की रेखा को अपेक्षाओं की ऊंचाई तक छू पाएगा ??
आज विभिन्न वार्डों के काउंसलर के साथ साथ चेयरमैन , डिप्टी चेयरमैन के पदों के आरक्षित अनारक्षित होने की चर्चाओं के चल रहे इस दौर में साधारण नागरिकों के बीच ये प्रश्न बड़ी बेकरारी से उठ रहे हैं ।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!