मानव श्रृंखला के बहिष्कार में शिक्षक व्हाट्सएप पर फैला रहे हैं यह मैसेज,पढ़कर आप चौक जाइएगा
शेखपुरा
मानव श्रृंखला को लेकर शिक्षक संगठनों ने इसका बहिष्कार किया है। इस बहिष्कार को लेकर शिक्षक समूहों में व्हाट्सएप पर मैसेज फैलाया जा रहा है। जिसमें व्यवस्था के द्वारा मानव श्रृंखला में पैसे के गोलमाल करने सहित अन्य आरोप भी लगाए जा रहे हैं, आप भी पढ़िए।
सम्मानित शिक्षक/शिक्षिका साथियों
सादर अभिवादन । नीतीश सरकार कल 19 जनवरी के मानव श्रृंखला के लिए पुरी मशीनरी को झोंके हुई है । प्रशासनिक राजनीतिक तमाम स्तरों पर दवाब की रणनीति का इस्तेमाल जारी है । तमाम विभागों के पदाधिकारी अपना सारा कामधाम छोड़कर मानव श्रृंखला के लोलमा में लटके हुए हैं । कमाऊ प्रोजेक्ट है – हर जिला में पचास करोड़ के आसपास राशि इस मद में आया है ।
श्रृंखला की तैयारी , प्रोपगेंडा, इवैंट आयोजन, प्रचार जुलूस आदि नाम पर बिहार सरकार 2000 करोड़ से भी अधिक राशि के खानापूर्ति का अघोषित एलान कर रखी है । जाहिर है श्रृंखला को लेकर लाभुक पदाधिकारियों का टापअप रिचार्ज हो चुका है और वे पुरी मुस्तैदी व दबंगई दिखाकर आम कर्मचारियों व लोगों को श्रृंखला में बेजा इस्तेमाल करना चाहते हैं । गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने पहले से श्रृंखला में लोगों की भागीदारी को स्वैच्छिक घोषित कर रखा है । अर्थात यह कि सरकार लोगों पर श्रृंखला में शामिल होने के लिए कोई कानूनी दबाब नही बना सकती है ।
बावजूद इसके पदाधिकारियों के द्वारा न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाकर दबाब के हथकंडे आजमाये जा रहे हैं । RTE की धज्जियां उड़ाते हुए बच्चों को सड़कों पर लाईन में खड़े करना सरकार के सनकी मानसिकता का परिचायक है । बिहार के नियोजित शिक्षक लंबे समय से समान वेतन- सेवाशर्त के मसले पर आंदोलनरत हैं । सड़क से लेकर न्यायालय तक चले नियोजित शिक्षकों के आंदोलन को नीतीश सरकार ने निर्ममता से कुचलने का काम किया है । जहां सड़कों पर लाठी गोली फर्जी मुकदमों के जरिये शिक्षकों पर हमला बोला जा रहा वहीं कोर्ट में सरकार सरेआम झूठ बोलकर न्यायालय के निर्णय को प्रभावित की ।
विद्यालयों से लेकर जिला शिक्षा कार्यालय तक भीषण भेदभाव और अपमानजनक अमानवीय स्थितियों को झेल रहे नियोजित शिक्षकों को समान वेतनमान सेवाशर्त एवं सम्मान की लड़ाई आगे बढ़ाने की चुनौती दरपेश है । तब जबकि नीतीश सरकार मानव श्रृंखला की पौलटिकल ड्रामेबाजी के जरिये असैंबली इलैक्शन का बिगुल फूंक चुकी है हम नियोजित शिक्षकों को भी अपने भविष्य के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचने की जरूरत है । हम नियोजित शिक्षकों को यह तय करना है कि हम अपने और बिहारी समाज की भविष्य की लड़ाई के साथ हैं या सरकार के पौलटिकल लोलमें के साथ हैं । हम सब जानते हैं मानव श्रृंखला न तो शराबबंदी को सफल कर सकी न ही दहेज को रोक पायी । जल जीवन हरियाली का सवाल हो या शराब और दहेज बंदी का सवाल – पौलटिकल सरकस से उसका निदान संभव नही ।
मुकम्मल योजनाबद्ध तैयारी व ठोस व्यवहारिक नीतियों को अमलीजामा पहनाते हुए ही इन सवालों को हल किया जा सकता है । सरकारों द्वारा बार बार जागरुकता की बात करने का यही अर्थ है कि जनता दोषी है । जबकि हकीकत यह है कि इसके लिए नीतिजन्य विसंगतियां और क्रियान्वयन की प्रशासनिक विफलता दोषी है । इस महीन पौलटिक्स को भी हमें समझना होगा । इन स्थितियों में बिहार के नियोजित शिक्षकों को सरकार को बेपर्द करने के लिए आगे आना ही होगा । कल के मानव श्रृंखला का नियोजित शिक्षकों द्वारा बहिष्कार नीतीश सरकार के पाखंड के खिलाफ शिक्षक संघर्षों का एक महत्वपूर्ण चरण साबित होगा ।
लिहाजा हम तमाम नियोजित शिक्षकों का यह दायित्व है कि कल के मानव श्रृंखला का समग्र बहिष्कार करें । श्रृंखला के समर्थक लोगों को भी श्रृंखला के पाखंड से अवगत करायें और पुरी स्पष्टता और चट्टानी एकता के साथ कल के मानव श्रृंखला से अपने को अलग रखने का ऐतेहासिक कार्य करें । हम इस बात की घोषणा करें कि हम जल जीवन हरियाली को लेकर सक्रिय रहनेवाले लोग हैं । हम पेड़ भी लगायेंगे – हम जल भी बचायेंगे – हम पर्यावरण को बेहतर भी बनायेंगे – लेकिन हम नीतीश सरकार की पौलटिकल ड्रामेबाजी मानव श्रृंखला से दूर रहेंगे ।
#Boycott19JanHumanChain
इस खबर को अपनों के बीच यहां से शेयर करें
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!