धाकड़ है गुरु: बिहार के गैंडे और अशिक्षित गैंडास्वामी
धाकड़ है गुरु: बिहार के गैंडे और अशिक्षित गैंडास्वामी
हास्य व्यंग्य/अमित कुमार
आज सबेरे सबेरे जब अखबार हाथ मे मिला तो एक सुखद समाचार से मन प्रसन्न हुआ। पटना के चिड़ियाखाना में गैंडों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और भारत मे गैंडों के मामले में अपना चिड़ियाघर शीर्ष पर पहुंच गया।
UPSC, IIT तथा IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में जब बिहारी बाजी मार रहें हैं तब बिहारी गैंड़ें भी कहाँ पीछे रहने वाले हैं। गैंडा एक दुर्लभ जीव है। इसके खाल के लिए लोग इसकी हत्या करते हैं। ऐसे में इनको बचाना पुण्य का काम है।
हाल के दिनों में अपने मुख्यमंत्री जी ने शिक्षा पर काफी ध्यान दिया और इसके तहत स्कूल में साइकिल और भोजन वितरण पर जोर दिया गया। सीएम साहेब ने बल देकर कहा कि शिक्षा से प्रजनन दर में कमी आती है। जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए जरूरी है शिक्षा। लेकिन गैंडे तो ठहरे निरामूर्ख। न तो उनको सायकिल का लोभ है और न ही भोजन का। जब व्यक्ति साइकिल और भोजन जैसे विषय वस्तु से ऊपर उठ जाता है तो फिर शिक्षा की क्या जरूरत? और जब शिक्षा नहीं है तो प्रजनन दर में वृद्धि तो फलीभूत होना ही था।
देखिये समय की क्या विडंबना है कि मानव जाति और इस देश को बचाने के लिए शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है और गैंडे को बचाने के लिए उसको अशिक्षित किया जा रहा है। अशिक्षित रहकर ही अगर कोई प्रजाति बच जाती है तो शिक्षा की क्या जरूरत? अशिक्षित रहो, जीवित रहो, फलो फूलो। जय गैंडास्वामी !!
लेखक नालंदा जिले के सरमेरा थाना क्षेत्र के प्रणावां गांव निवासी हैं। बरबीघा में रहकर पढ़ाई लिखाई हुई है। महात्मा गांधी आदर्श उच्च विद्यालय बभनबीघा से दसवीं की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने आईएसएम धनबाद से पैट्रोलियम इंजीनियरिंग की है। विदेशों में बेहतर जॉब करते हुए Bed, Polytechnic College, ITI जैसे शैक्षणिक संस्थानों का संचालन कर रहे हैं।
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