सार्वजनिक स्थलों पर घूमने वाले बच्चों को मिलेगा आवास, जेजे एक्ट के वर्कशॉप में उठी बात
सार्वजनिक स्थलों पर घूमने वाले बच्चों को मिलेगा आवास, जेजे एक्ट के वर्कशॉप में उठी बात
शेखपुरा
शेखपुरा। जेजे एक्ट एवं पोक्सो एक्ट पर बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित मंथन सभागार में आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
अपने संबोधन में डीडीसी अरुण झा ने कहा कि हमारे देश में किशोरों के लिए न्याय व्यवस्था है, उनके लिए कानून बना हुआ है, हमें केवल सभी के सहयोग से उसे सही तरीके से कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में उन्होंने अपने अनुभवों को भी साझा किया। बाल संरक्षण इकाई की कार्यों की सराहना करते हुये सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई को वैसे सभी बच्चें जो आये दिन स्टेशन, बस स्टैंड एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर घुमते रहते है उनको चिन्हित करते हुये पुनर्वासन कराने की सलाह दिया।
इस अवसर पर सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल संरक्षण इकाई के तहत किये जा रहे कार्यो में सभी की सहभागिता की आवश्यकता पर बल देते हुये सहयोग की अपील की। राज्य सरकार द्वारा बच्चों की देख-रेख एवं संरक्षण के गैर संस्थानिक प्रयासों के अंतर्गत इस विभाग के माध्यम से परवरिस योजना चलाई जा रहीं है।
जिसमें अनाथ एवं बेसहारा बच्चें जो अपने निकटतम संबंधी अथवा रिश्तेदार के साथ रहतें है, एचआईबी /एड्स से पीड़ित माता/पिता के बच्चें अथवा कुष्ठ रोग (ग्रेड-2) से पीड़ित माता/पिता के 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए चलाया जा रहा है। पुलिस उपाधीक्षक द्वारा बताया गया कि पुलिस प्रशासन सदैव बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में कार्य करती है।
उनकी गुणवता और बेहतर हो इसके लिए बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। जो इस प्रशिक्षण में हमें प्राप्त होगा और हम और भी बेहतर तरीके से कार्य कर सकेंगे। प्रशिक्षण सत्र के दौरान मंथ का संचालन कर रहें सामाजिक कार्यकर्ता बाल संरक्षण इकाई श्रीनिवास द्वारा केस स्टडी एवं बाल/किशोर संबंधी आंकडों से उपस्थित लोगों को अवगत कराया गया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से उनके प्रति बाल मित्र बनकर समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने का भी अनुरोध किया गया।
प्रशिक्षण सत्र का संचालन पटना से आये परामर्शी साहिद जावेद एवं प्रशिक्षक सैफुर रहमान द्वारा जे॰ जे॰ एक्ट एवं किशोर न्याय अधिनियम में निहित प्रावधानों को बारीकी से समझाया गया। सत्र के दौरान यह भी बताया गया कि छोटे-मोटे अपराध के लिए बच्चों पर प्राथमिकी नहीं करनी है बल्कि वैसे मामलों में सिर्फ स्टेशन डायरी दर्ज कर बालक के साथ उनके अभिभावक को जे के बी में उपस्थित होने की सूचना देंगे।
ऐसे मामलें 04 माह में खत्म हो जायेंगे। उक्त प्रशिक्षण में सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई, मृत्युंजय कुमार सदस्य जे॰ जे॰ बी॰, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के साथ-साथ बाल संरक्षण इकाई के कर्मी आदि उपस्थित थें।
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