• Saturday, 23 November 2024
बिहार में भ्रष्टाचार रोकने में दो बीडीओ की हुई थी हत्या, क्यों अपराधियों को सजा दिलाने में पुलिस रही नाकाम

बिहार में भ्रष्टाचार रोकने में दो बीडीओ की हुई थी हत्या, क्यों अपराधियों को सजा दिलाने में पुलिस रही नाकाम

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शेखपुरा
शेखपुरा जिले में लगातार दो  प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या बिहार ही नहीं देश भर में सुर्खियों में रहा। 21 सितंबर 2004 और 22 जून 2008 में विकास कामों में बगैर काम किए पैसा निकासी और शिक्षक बहाली में गड़बड़ी जैसे भ्रष्टाचार को रोकने में प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या हुई । 2004 में समस्तीपुर निवासी प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक राज वत्स की हत्या अपराधियों ने दिनदहाड़े कर दी थी। इसमें पुलिस अनुसंधान में जो बात आई थी उसके अनुसार विकास की योजना में बगैर काम कराए ही पैसे की निकासी और चेक पर दस्तखत का  दबाब बीडीओ पर बनाया जा रहा था । नहीं मानने पर हत्याकांड को अंजाम दिया गया। उधर, 2008 में ही अरियरी प्रखंड के ही बीडीओ अरविंद मिश्रा की हत्या कर दी गई । मिश्रा की हत्या शेखपुरा नगर परिषद के सबसे प्रमुख मोहल्ला राजोपुरम में उस समय की गई जब कार्यालय से लौटकर वे अपने डेरा में पहुंचे । डेरा में ही छुपे अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

अशोक राज  की हत्या में पुलिस की रही नाकामी

अशोक राज वत्स प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या में पुलिस की बड़ी लापरवाही रही। इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या किसने की।  बता दें कि इस मामले में तत्कालीन राजस्व कर्मचारी रघुवीर मंडल की बाइक पर बैठकर प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालय जा रहे थे। 10:30 बजे ककरार मोड़ के पास अपराधियों ने गोलियों से भून डाला। वही रघुवीर मंडल को कुछ नहीं किया । रघुवीर मंडल ने अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी कराई। जिसके बाद पुलिस अनुसंधान में कुख्यात अपराधी सरगना अशोक महतो का नाम आया ।
अशोक महतो के साथ-साथ गिरोह के कुख्यात रहे पिंटू महतो सहित राजू महतो, अशोक प्रसाद, नरेश महतो, विजय महतो का भी नाम आया। सभी के विरुद्ध चार्ज सीट पुलिस ने दाखिल की। इस पूरे मामले में 20 लोगों की गवाही हुई । जिसमें पुलिस पदाधिकारी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, प्रखंड विकास पदाधिकारी की पत्नी की गवाही शामिल है । साक्ष्य जुटाने और हत्या का तार   अनुसंधान में लाए गए लोगों से जोड़ने में पुलिस नाकाम रही। साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।
बताया जा रहा है कि इस हत्याकांड में फास्ट ट्रैक कोर्ट 5 में हुई सुनवाई के दौरान 2006 में ही सबूत के अभाव में अशोक कुमार, नरेश महतो, विजय महतो, राजू महतो और रघुवीर मंडल को रिहा कर दिया गया। जबकि 2013 में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय में सुनवाई के दौरान अशोक महतो को भी सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। इसी हत्याकांड में बीते बुधवार को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में पिंटू महतो को भी बरी कर दिया।
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2008 में भी प्रखंड विकास पदाधिकारी की हुई हत्या

अपराधी गिरोहों के बढे मनोबल और प्रशासनिक विफलता का नमूना 2008 में भी सामने आया जब 22 जून 2008 को एक बार फिर से अरियरी प्रखंड के ही बीडीओ अरविंद कुमार मिश्रा की हत्या कर दी गई । उनकी हत्या उनके डेरा शेखपुरा के राजोपुरम में गोली मारकर की गई। इस मामले का इस हत्याकांड का तार पंचायत शिक्षक नियोजन से जुड़ा। इसमें उस समय के मुखिया राजेश रंजन उर्फ गुरु मुखिया का नाम आया। उसके साथ साथ कई लोग भी नामजद किए गए। इस मामले की भी अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

सबसे बड़ा सवाल किसने की प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या

अब इस मामले में पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है। सबसे बड़ा सवाल लोग पूछ रहे हैं कि प्रखंड विकास पदाधिकारी कि आखिर हत्या किसने की । इससे पहले भी पूर्व सांसद राजो सिंह हत्याकांड में नामजद अभियुक्तों को बरी करने का मामला सुर्खियों में रहा था । पुलिस इस मामले में भी अपराधियों तक पहुंचने में नाकाम रही थी और सबूत के अभाव में नामजद लोग को कोर्ट ने बरी कर दिया। इसमें भी अशोक महतो और उसके गिरोह का नाम आया था।
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