• Saturday, 20 April 2024
मुंगेर विधान परिषद के चुनाव में खेला होवे: नोट से वोट, राजद में भीतरघात से चोट

मुंगेर विधान परिषद के चुनाव में खेला होवे: नोट से वोट, राजद में भीतरघात से चोट

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मुंगेर विधान परिषद के चुनाव में खेला होवे: नोट से वोट, राजद में भीतरघात से चोट
राजनीतक न्यूज डेस्क

मुंगेर विधान परिषद के चुनाव में खेला होवे की स्थिति है। वैसे तो कहने को मुंगेर विधान परिषद के चुनाव में 13 उम्मीदवारों का नामांकन है परंतु खेला त्रिकोणीय स्थिति में ही अंततः सामने आ रही है । इस खेला होवे में राजद के दो बार से कब्जे वाली सीट पर राजद के कब्जा को बरकरार रखने के लिए राजद के नेता तेजस्वी यादव ने जहां अपनी उपस्थिति नामांकन में दर्ज कराकर प्रतिष्ठा का सवाल बता दिया है तो वही मुंगेर लोकसभा से सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लखीसराय की सभा में इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सीट बताते हुए खुलेआम ऐलान कर दिया ।

गुड्डू यादव के साथ राजद नेता संजय यादव, लट्टृ यादव, बालमुकुंद यादव, संतोष गोप इत्याद

उधर, इस पूरे खेला होवे में जमुई जिला परिषद के अध्यक्ष दुलारी देवी के पति एवं कुख्यात बाहुबली गुड्डू यादव ने खेला होवे में खेला बिगाड़ने की स्थिति बना दी है। गुड्डू यादव को अंदर खाने राजद के एक लॉबी का भी समर्थन है। हालांकि बगावती तेवर रखने वालों को राजद के द्वारा पार्टी से निष्कासित भी किया जा रहा है। भीतर भीतर राजद के बड़े खेमे के समर्थन से खेला होवे की स्थिति बिगड़ती जा रही है।

संजय सिंह राजद से बने थे विधान पार्षद अब जदयू के खेमे में

जमुई के संजय सिंह राष्ट्रीय जनता दल से दो बार मुंगेर विधान परिषद सीट से उम्मीदवार रहे हैं । मुंगेर, जमुई, लखीसराय और शेखपुरा जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस चुनाव में अपना वोट देते हैं। 4 अप्रैल को होने वाले चुनाव में सभी के द्वारा ताकत लगा दी गई है। सबसे अधिक जोर आजमाइश वोटरों को मनाने के लिए की जा रही है परंतु पैसा के दम पर खेला होवे का खेल सर्वाधिक हो रहा है।
संजय सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के खासे करीबी हैं । ललन सिंह ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। लखीसराय में मंच से ललन सिंह ने कहा कि गुड्डू यादव तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में राजनीति को बचाने की जरूरत है। उनका इशारा साफ था कि राष्ट्रीय जनता दल और जदयू के उम्मीदवार के बीच कहीं निर्दलीय ने बाजी मार ली तो प्रतिष्ठा नहीं बचेगी। उनके मंच से ऐलान के बाद लोगों में और सक्रियता बढ़ गई।

राजद नेता जगदानंद सिंह के साथ राजद नेता संजय यादव, लट्टू यादव इत्यादि

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गुड्डू यादव कुख्यात रहे हैं, हत्याओं के दौर में उनका काफी नाम रहा

उधर गुड्डू यादव कुख्यात रहे हैं। जमुई जिले के सिकंदरा बस स्टैंड पर कब्जे को लेकर हत्याओं के दौर में उनका काफी नाम रहा है और आलम यह रहा कि जिला परिषद सीट पर किसी ने डर से नामांकन तक नहीं कराया।  वहीं गुड्डू यादव के समर्थन में शेखपुरा के विधायक ने सिकंदरा पहुंचकर जिला परिषद के चुनाव के समय अपनी सहानुभूति दी थी और करीबी भी माने जाते हैं। विधायक विजय सम्राट अभी पार्टी के उम्मीदवार अजय सिंह के समर्थन में हैं। अजय सिंह बड़े व्यवसाई हैं और पैसे के दम पर खेला होवे का खेला करना चाहते हैं । वही गुड्डू यादव के समर्थन में जातीय गोलबंदी इस खेले को बिगाड़ने के लिए लगे हुए हैं। राष्ट्रीय जनता दल के चेवाड़ा के नेता लट्टू यादव को पार्टी ने 6 साल से के लिए निकालकर मैसेज दे दिया कि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बाहुबली बालमुकुंद यादव का भी समर्थन

राष्ट्रीय जनता दल के शेखपुरा के ही नेता संजय यादव, शंभू यादव इत्यादि लोगों का समर्थन गुड्डू यादव को है। वही बाहुबली बालमुकुंद यादव का भी समर्थन गुड्डू यादव को मिला हुआ है। इस गोलबंदी से खेला होवे की स्थिति सामने आ रही है।
उधर, जातीय ध्रुवीकरण के साथ-साथ एडीए के लोगों ने भी अपनी ताकत लगा दी है। हालांकि पूरे समीकरण में जदयू के प्रत्याशी के पक्ष में भाजपा के लोगों की गोलबंदी उस रूप में मजबूती से दिखाई नहीं दे रही। जदयू के लोगों ने ताकत लगा दी है।
ललन सिंह के नाम पर ही लोगों का ध्रुवीकरण होने लगा है। उनके कई समर्थक खुलकर सामने आए हैं और विधान परिषद के इस चुनाव में लगे हुए हैं। वहीं इस पूरे मामले में अंततः खेला होवे की स्थिति नोट के दम पर वोट का ही माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि वोट की बोली खुलेआम लग रही है। इस पूरे मामले में बोल कोई कुछ नहीं रहा परंतु अंदर अंदर सभी को पता है कि एक एक वोट के हजारों हजार कीमत लग रहे हैं। कितने वोटरों को कितनी राशि दी गई सबको पता है और इसी आधार पर जीत हार का मापदंड लोग तय कर रहे हैं। जितने वोटरों ने राशि पकड़ी है उसे से सभी लोग अपने अपने खेमे में जोड़कर अपने अपने जीत के दावे कर रहे हैं। वहीं नए निर्वाचित जनप्रतिनिधि सामाजिक और जातीय ध्रुवीकरण, राजनीतिक ध्रुवीकरण के साथ-साथ एनडीए के सत्तारूढ़ पार्टी के द्वारा बिहार के समीकरण, विकास और पंचायती राज के सशक्तिकरण के दावे के बीच अपना मत किसे देते हैं यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।
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