• Friday, 29 March 2024
शैडो की मौत पे भावुक हुए कुमार विश्वास, लिखा रो देने वाला पोस्ट

शैडो की मौत पे भावुक हुए कुमार विश्वास, लिखा रो देने वाला पोस्ट

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शैडो की मौत पे भावुक हुए कुमार विश्वास, लिखा रो देने वाला पोस्ट
कुमार विश्वास

पिछले तेरह साल वो हमारे परिवार और अस्तित्व का अनिवार्य हिस्सा रहा।तीस दिन का था वो, जब वो आर्मी डॉग ट्रेनिंग सेंटर से हमारे घर आया था और मेरी पत्नी के कलेजे से बच्चे की तरह लगकर सोता था। अपनी नई पालिता माँ की ख़ुश्बू से बंधा वो हर समय उसके पीछे-पीछे साए की तरह चलने लगा तो हमने उसकी इस आदत के कारण उसे नाम दिया “शैडो” । आज अपनी आख़री साँस तक वो अपनी इस जन्म की माँ का दुलारा बेटा बना रहा। मेरी बेटियों ने उसे हर रक्षाबंधन राखी बांधी और वो अपनी दोनों बहनों का लाड़ला अपनी आख़री साँस तक बना रहा।

पिछले तेरह साल में मैंने बहुत सारे आंसू व ठहाकों में लिपटे पल भोगे। अपार प्रेम, मान्यता व यश कमाया। ढेरों अपयश झेले, अपनों के ख़ंजर अपनी ही बेख़बर पीठ पर खाए।लेकिन इन सभी लाभ-हानि व उत्थान-पतन से तटस्थ हर बार घर लौटने पर उसके छलकते प्यार ने महसूस कराया कि घर से सुंदर दुनिया का कोई राजमहल नहीं है और उसके प्यार से सच्चा दुनिया में कुछ नहीं है।पिछले महीने जब उसकी खांसी कुछ ज़्यादा बढ़ी और हमने उसकी गहन चिकित्सकीय-जाँच कराई तो पता चला कि उसके फेफड़ों में कैंसर का बड़ा ट्यूमर जीवन के आसन्न अवसान की सूचना दे रहा है। डॉक्टर्स ने कहा “अब बस हफ़्तों की बात है, पीड़ा ज़्यादा होगी।दर्दनिवारक दवाएँ दीजिए और पीड़ाहीन विदा की दुआ करिए”।तब से हम सब लोग उसी के आसपास रहने लगे।
मैं भोजन, ऑफिस के लोगों से संवाद व लिखना-पढ़ना उसके पास बैठकर करने लगा।आज घर के सामने के लॉन में बैठकर, अपने इस जन्म के घर को निहारते हुए शैडो ने दो लंबी-गहरी साँसे ली और ईश्वर के लोक को प्रस्थान किया।पिछले चार साल से उसके सबसे प्रिय प्रवास स्थल KV Kutir केवी कुटीर में ही, जिन पेड़ों के चारों ओर वो मेरे साथ घंटो घूमा, उन्हीं पेड़ों की सूखी लकड़ियों व अंतिम-संस्कार के लिए सभी अपेक्षित सामग्रियों के साथ मैंने शैडो को मुखाग्नि दी।उसकी राख केवी कुटीर के पेड़ों में, खेतों में अपना स्नेह, अपनी वफ़ादारी सदा ज़िंदा रखेगी।
मनुष्यों की सापेक्ष प्रेम से भरी इस दुनिया में शैडो का अनवरत मुहब्बत भरा दिल किसी फ़रिश्ते जैसा था।कहते हैं धर्मराज युधिष्ठिर के स्वर्गारोहण-पथ पर जब जन्म-जन्मांतर के सभी संगी साथ छोड़ गए तब एक श्वान ने एक धर्मरूप बंधु बनकर उनके अंतिम सहचर की भूमिका निभाई थी।विदा प्यारे बेटे शैडो।फिर किसी जन्म में तुम्हारे जैसे परिजन की प्रतीक्षा करेंगे।घर में सब हैं पर कोई आहट है जो नहीं है।तुम सदा हमारे दिलों में रहोगे बच्चे
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आलेख लेखक के फेसबुक से साभार
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