राखी बांधना: कब शुभ, कब अशुभ, जान लीजिए..

गणनायक मिश्र।
भद्रा नक्षत्र एवं चंद्र ग्रहण प्रभाव के कारण शुभ मुहूर्त में ही बंधवाए राखी
इस बार 26 अगस्त दिन रविवार को सावन पूर्णिमा के अवसर पर परंपरा के अनुसार भाई-बहनों के बीच पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन विशेष मुहूर्त में ही मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों की माने तो इस पूर्णिमा के अवसर पर मध्य रात्रि को लगने वाले चंद्र ग्रहण के 7 घंटे पूर्व से सूतक काल आरंभ होने के कारण यह संयोग बन रहा है. दूसरी ओर भद्रा नक्षत्र में रावण की बहन शूर्पणखा द्वारा राखी बांधने के पश्चात रावण एवं लंका की दुर्गति की कहानी प्रचलित है. इसीलिए चंद्रग्रहण और भद्रा नक्षत्र के दुर्योग के कारण रक्षाबंधन की परंपरा का निर्वहन ज्योतिष आचार्यों के द्वारा निर्धारित वक्त में ही संपन्न किए जाने की प्राथमिकता बताई जा रही है. विविध प्रकार विद्वानों की माने तो
*राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त*
सुबह 7:43 बजे से 9:18 बजे तक चर,
सुबह 9:18 बजे से लेकर 10:53 बजे तक लाभ,
सुबह 10:53 बजे से लेकर 12:28 बजे तक अमृत,
दोपहर 2:03 बजे से लेकर 3:38 बजे तक शुभ,
सायं 6:48 बजे से लेकर 8:13 बजे तक शुभ,
रात्रि 8:13 बजे से लेकर 9:38 बजे तक अमृत,
रात्रि 9:38 बजे से लेकर 11:03 बजे तक चर,
इन मुहूर्तों में राखी बांधी जा सकती है। अमृत मुहूर्त के समय राखी बाँधना बहुत ही फलदायी माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि इसी समय अपने भाई को राखी बाँधें और भाई भी अपनी बहनों से इसी समय राखी बँधवाएँ।