महिला किसान का दर्द : कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह घर से निकलकर सड़क किनारे घंटों बैठती है
महिला किसान का दर्द : कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह घर से निकलकर सड़क किनारे घंटों बैठती है
शेखपुरा
महिला किसान का दर्द सुनने वाला कोई नहीं। किसान परेशान है। इधर उधर भटक रहे हैं। कभी इस दुकान तो कभी इस दुकान। कभी इस शहर तो कभी इस शहर । यहां तक कि दूसरी जिले में भी भटकना पड़ रहा है। यह सब किसानों को उर्वरक के लिए करना पड़ रहा है ।
पिछले कई पखबरों से यूरिया और डीएपी की किल्लत है। डीएपी 1200 रुपए मूल्य है। और 1800 रुपए में जहां-तहां से किसान खरीद रहे हैं। यूरिया की कीमत लगभग ₹270 है परंतु ₹350 में या उससे भी अधिक कीमत पर किसान इधर-उधर खरीद रहे हैं ।
स्थिति यह है कि यूरिया मिल भी नहीं रहा है। अभी बिस्कोमान में डीएपी आया है तो किसान परेशान है । सुबह में उठकर किसान डीएपी खाद खरीदने के लिए लाइन में लग जाते हैं। सुबह में लाइन लगते हैं। दोपहर बाद भूखे प्यासे रहकर उन्हें डीएपी मिल रहा है । महिला भी यूरिया लेने और डीएपी लेने के लिए लाइन में लगती है। बताया जा रहा है कि महिला को पहले डीएपी दिया जाता है। इसलिए घर की महिलाओं को किसान यूरिया और उर्वरक लेने के लिए भेज रहे हैं। परंतु यूरिया कहीं नहीं मिल रहा है। डीएपी मिल रहा है । बिस्कोमान में जिसे लेने के लिए महिला घर से सुबह सुबह निकल कर आ रही है।
सुबह सुबह आंख खुलते ही महिला घर से निकलकर बिस्कोमान में आकर लाइन लगाती है। शेखपुरा बरबीघा और हथियामा बिस्कोमान में यूरिया नहीं मिल रहा है। परंतु डीएपी उर्वरक 2 दिनों से आया हुआ है। इसकी बिक्री की जा रही है। पहले लाइन में लगकर यूरिया डीएपी लेने के लिए लोग यह कर रहे हैं। इसमें महिला को प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए महिला किसान ही घर से डीएपी लेने के लिए आ रही है। बता दें कि रबी सीजन है। उर्वरक नहीं मिलने से काफी परेशानी है। मुख्य समय में उर्वरक की किल्लत हो गई है। डीएपी की भारी किल्लत से किसान परेशान हैं।
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