नई तकनीक से अब गाय देगी केवल बाछी को जन्म, जानिए पूरी बात
नई तकनीक से अब गाय देगी केवल बाछी को जन्म, जानिए पूरी बात
शांति भूषण/संपादक मंडल
पंजाब और महाराष्ट्र की तरह यहां भी तकनीकी प्रयोग पर बनी सहमति विदेशी नस्ल की गाय से होने वाले बछड़े खेती के काम में नहीं आते। नया नजरिया- वह जमाना अब लदने को है, जब बैल से खेत जोते जाते थे। अब खेत की जुताई ट्रैक्टर से हो रही है। ऐसे में बछड़े की उपयोगिता कमतर होती गई है। बाछी पैदा होने से पशुपालकों के दूध उत्पादन में बढोतरी होगी और उनका उत्साह बढेगा। राज्य में दूध की मांग की तुलना में उत्पादन बहुत कम है। अच्छी नस्ल की गायों और उनसे बाछी पैदा होने की गारंटी से पशुओं की तस्करी भी रुकेगी। दरअसल कम दूध देने वाली गाय और बाछे को लोग पशु कारोबारियों को बेचते रहे हैं।दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की यह नई पहल है। विदेशी (हाइब्रिड) नस्ल की गाय से पैदा होने वाले बछड़े खेती के काम में नहीं आते हैं। ऐसे में जरसी और एचएफ (होस्टेन फ्रीजन) नस्ल के गायों से बछड़े होने पर पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या के निजात के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग पंजाब और महाराष्ट्र के पैटर्न पर कृत्रिम गर्भाधान के जरिये ऐसी तकनीक के प्रयोग पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया है, जिसमें गायों से सिर्फ बाछी ही पैदा हो सकती है। इंग्लैंड की एवीएस कंपनी की सेक्स सीमेंन से कृत्रिम गर्भाधान कराने पर विदेशी नस्ल की गायों से बाछी होना तय माना जा रहा है।
पंजाब के प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोशिएशन और पूणे के चितले डेयरी फार्म में यह प्रयोग सफल रहा है। इस कार्य को लेकर कई वर्षों से सरकार के द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं । तत्कालीन पशु एवं मत्स्य संसाधन के मंत्री और अधिकारियों ने इन दोनों जगहों का दौरा कर इंग्लैंड की एवीएस कंपनी के दावों को काफी हद तक सही माना है
एवीएस कंपनी के इस दावे पर बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जे के प्रसाद बताते हैं कि इस तरह के प्रयोग से दुग्ध उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी और किसानों को मुनाफा देने की जो योजना केंद्र सरकार की है उसको भी बढ़ावा मिलेगा। अब किसानों को ओने पौने दाम पर बाछे को नहीं बेचना पड़ेगा। बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीक के इस्तेमाल का मन बनाया है और शुरुआत भी कर दी गई है। नीतिगत निर्णय को लेकर दूघ उत्पादन बढ़ाने वाली इस अनोखी प्रक्रिया का क्रियान्वयन किया जाएगा। मात्र 1000-1200 रुपये खर्च कर विदेशी नस्ल की गायों से बाछी पैदा हो जाएगी। ‘ करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीच्यूट (एनडीआरआई) के विशेषज्ञों ने दो भैंसों का क्लेनिंग भी तैयार कर लिया है। ऐसे में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करना ही होगा।
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