दानवों के राजा महाबली और रक्षा बंधन के बीच का क्या है संबंध
जितेन्द्र कुमार जीत
धर्मो रक्षति रक्षित:
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः | तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ||
दानवों के राजा महाबली को जिस तरह धर्म के बंधन में बांधा गया, उसी तरह मैं तुम्हें धर्म के बंधन में बांधता हूँ।
माँ चलना दौड़ना सिखाती है,माँ बांध नहीं सकती।पत्नी अलग नहीं होती,सहभागिनी होती है।धर्म हो या अधर्म साथ चलती है,धर्म में बांध देना उसके अधिकार में नहीं है।एक बहन ही है जो व्यक्ति को धर्म के बंधन में बांध सकती है..और कोई नहीं।
जो व्यक्ति को धर्म के बंधन में दृढ़ता से बांध दे वो बहन,और जो समाज को धर्म के बंधन में दृढ़ता से बांध दे,वो ब्राह्मण।
महज संयोग नहीं है कि धर्म के मार्ग से विचलित व्यक्ति और समाज की गालियों में सबसे प्रमुखता से बहन और ब्राह्मण ही मौजूद हैं..
व्यक्तिगत और सामाजिक धर्म में अचल रहने की शपथ दिलाने वाले रक्षाबंधन के महान पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !
धर्मो रक्षति रक्षितः।धर्म बंधन ही रक्षा बंधन है।
लेखक जमुई जिले के मैनाचातर गांव निवासी है।
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