कार्यपालक सहायक की मौत पर मातम, संविदाकर्मी के लिए सरकार की झोली खाली, तीन घरों में बुझा दीपक
कार्यपालक सहायक की मौत पर मातम, संविदाकर्मी के लिए सरकार की झोली खाली, दिवाली से पहले तीन घरों में बुझा दीपक
अरियरी, शेखपुरा
देशभर में बढ़ते पूंजीवाद के चलन और सरकारी नौकरी में संविदा के प्रचलन ने नौजवान पीढ़ी के भविष्य को अंधेरे में तो धकेल ही दिया उसके जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी होता है। वैसे में यदि संविदा कर्मी की मौत भी हो जाए तो सरकारी नौकरी के तहत मिलने वाले किसी भी तरह का लाभ इन को नहीं मिलता और अपने भविष्य के साथ-साथ परिवार और बच्चों के भविष्य को संवारने में रात दिन मेहनत करने वाले संविदा कर्मी के परिवार के आगे भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
संविदा कर्मी मेहनत करके सरकारी काम को तो निपटाते हैं परंतु सरकारी श्रेणी में इनको गिना नहीं जाता और इनकी मौत पर केवल अश्रु बहाने का ही काम किया जाता है। ऐसे में ही चुनाव से संबंधित कार्य संपन्न कराकर बुधवार की रात्रि 9:00 बजे लौट रहे एक संविदा कर्मी की सड़क हादसे में मौत हो गई और उनके परिवार के सामने भविष्य अंधकारमय हो गया।
कैसे घटी घटना, क्या हुआ मामला
दरअसल यह मामला शेखपुरा जिले के अरियरी प्रखंड में कार्यरत नालंदा के बिंद के नैरंगा के संविदा कर्मी कार्यपालक सहायक विमल कुमार विमल से जुड़ा है। वे अरियरी में चुनाव काम संपन्न कराकर लौट रहे थे। नाम वापसी को लेकर सारी तैयारी के बीच 9:00 बज गया। शेखपुरा के टाटी नदी के पास सड़क हादसा हो गया। वहीं सड़क किनारे वे गिरे हुए थे। वहीं दूसरे संविदा कर्मी अरियरी से ही रात 9:00 बजे लौट रहे थे। सड़क किनारे किसी को गिरा हुआ देखा तो बरबीघा के बुल्लाचक निवासी मुरारी कुमार ने उसकी सहायता की और एंबुलेंस आने के बाद सदर अस्पताल भेजा गया। हालांकि सदर अस्पताल में गंभीर स्थिति देखते हुए प्राथमिक उपचार की भी सुविधा संविदा कर्मी को नहीं मिली और तत्काल उसे रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही संविदा कर्मी ने दम तोड़ दिया। संविदा कर्मी के निधन पर कार्यपालक सहायक सहित संविदा कर्मियों में शोक की लहर है।
संविदा कर्मियों के निधन पर नहीं मिलता कोई लाभ
सरकारी नौकरी को लोग भविष्य की सुरक्षा को लेकर ज्वाइन करते हैं। संविदा कर्मी के माथे पर भी इसी तरह की जिम्मेदारी होती है। चुनाव कार्य में लगे होने की वजह से जब से चुनाव का कार्य शुरू हुआ है रात्रि 8 से लेकर 11 बजे के बाद ही संविदा कर्मियों को घर जाना नसीब होता है। रात में उनके लिए रहने खाने की भी व्यवस्था नहीं है। न ही घर पहुंचाने की व्यवस्था। वैसे में सड़क हादसे में मौत हो जाने पर भी कोई सरकारी लाभ इन को नहीं मिलेगा। आम आदमी को मिलने वाला लाभ ही इनके लिए भी है। संविदा कर्मियों के परिवार को ना तो कोई अलग से राहत राशि दी जाती है और ना ही अलग से कोई अनुकंपा पर परिवार वालों को सहायता और नौकरी। वैसे में संविदा पर काम करने वालों के भविष्य अंधकारमय ही दिखता है।
दिवाली से पहले तीन घरों में घुस गया दीपक
दीपावली से पहले तीन घरों में दीपक बुझ गया। बुधवार की शाम में तीन अलग-अलग सड़क हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई। पहला हादसा नेमदारगंज के पास हुआ। यहां एक ट्रक ने चाय दुकानदार रामजी साव को रौंद दिया और उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद घंटों रोड जाम लगा रहा परंतु प्रशासन के द्वारा कोई पहल देर तक नहीं की गई। जाम में लोग फंसे रहे। किसी तरह से लोग घर पहुंचे। वहीं एक अन्य हादसे में बरबीघा के गंगटी में एक युवक अजय कुमार की मौत हो गई। यहां अब तक कई लोग हादसे का शिकार हो गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 82 पर तेज रफ्तार वाहन की चपेट में लोग आ रहे हैं। इसी चपेट में एक बाइक सवार ने अजय को टक्कर मार दी। जिससे उनकी मौत हो गई। जबकि अरियरी से अपने घर लौट रहे विमल कुमार की भी मौत सड़क हादसे में हो गई।
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