शतकीय पारी के बाद अच्छे दिन आने पर खुशी की लहर
अरुण साथी, व्यंग्य रचना
अच्छे दिन आने के भरोसे को पूरा होने पर खुशी की लहर है। पेट्रोल सिंह ने हर बॉल को बाउंड्री के पार भेज कर जब शतक जड़ दिया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। डीजल डालमिया भी सलामी बल्लेबाज जोड़ी का कर्तव्य निभाया और शतक के करीब पहुंचने की रेस में जी तोड़ मेहनत कर रहा है।
टीम के दोनों सलामी बल्लेबाज को अच्छे दिन आने का भरोसा दिया गया था। टीम के कप्तान और उपकप्तान के सद-प्रयासों से इसमें सफलता भी मिल गई। धुआंधार बल्लेबाजी कर शतकीय पारी से खेलने वाली जोड़ी से जब इस संबंध में पूछा गया तो इस सवाल को करने वाले मीडिया कर्मी को देशद्रोही मानकर घूरते हुए उसने जवाब दिया। चेहरे पर कुटिलता भरी मुस्कान के साथ हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह सब कप्तान महोदय के दिशा निर्देश और प्रेरणा की वजह से ही संभव हो सका है। हम दोनों जब विपक्षी टीम के सदस्य थे तो परफॉर्मेंस काफी खराब था। पच्चास-साठ गेंद पर सत्तर रन पर आउट हो जाते थे। दुर्भाग्य से लोग 70-80 रन बनाने पर भी काफी हो हल्ला, उपद्रव, तोड़फोड़ करते थे। आज अच्छे दिन की निशानी है कि दर्शकों तक भक्तिमय माहौल बनाने के सद-प्रयासों के परिणामत: आज सभी जगह भक्तिमय वातावरण है।
जयकारे गूंज रहे हैं।
जय भ्रता की।
जय भाग्य विधाता की।
इस उपलब्धि को हासिल करने को लेकर दोनों को समारोह पूर्वक सम्मानित किया गया। राष्ट्रवाद के दिशा में किए गए इस पहल की सराहना की गई और दोनों को प्रखर राष्ट्रवादी का पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर टेस्ट खिलाड़ी करूआ साव को भी दोहरा शतक लगाने की शानदार उपलब्धि हासिल करने पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। बताया गया कि टीम के कोच, कप्तान, उप कप्तान के साथ-साथ इस उपलब्धि को हासिल करने में मैनेजिंग टीम के सदस्य अन्डानी-अन्जानी गुरु घंटालों की देखरेख में कई अन्य खिलाड़ी भी रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धि हासिल करने की रेस में शामिल है।
अपने संबोधन में कप्तान श्री ने कहा कि देश की सेहत और पर्यावरण के लिहाज से पेट्रोल सिंह की यह उपलब्धि एक राष्ट्रवादी कदम है। लोग साइकिल की सवारी करें। परंपरा और संस्कृति को अपनाते हुए बैलगाड़ी का उपयोग माल ढोने, यात्रा करने के लिए भी करना अपनी संस्कृति और धरोहर को सहेजने जैसा होगा। करूआ साव का उपयोग भी सेहत के लिए चिकित्सकीय सलाह के अनुसार नुकसानदायक होता है। अतः इसका प्रयोग ना के बराबर करना ही सही होगा और इस दिशा में हम लोगों का प्रयास काफी सराहनीय हैं। इति श्री। जय श्री राम।
व्यंग्य रचना बरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अरुण साथी के ब्लॉग चौथाखंभा
से साभार लिया गया।
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