उत्तर भारत के तिरुपति विष्णु धाम में स्थापना दिवस मनाया गया, यहां है 9वीं सदी की विष्णु प्रतिमा
बरबीघा
शेखपुरा जिले के बरबीघा में भगवान विष्णु मंदिर सामस धाम में स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। सादे समारोह में आयोजित इस स्थापना दिवस में पूजा पाठ की गई। मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह ने पूजा अर्चना की। लोगों को कोरोना से बचने की सलाह दी और लोगों के बीच मास्क का भी वितरण किया। 5 जुलाई 1992 को इस तालाब से भगवान विष्णु की प्रतिमा निकली थी।
यहां है ऐतिहासिक प्रतिमा
बरबीघा-शेखोपुरसराय रोड पर बरबीघा से 5 किमी दक्षिण की ओर सामस गांव स्थित विष्णु धाम मंदिर प्रसिद् धार्मिक स्थल है। मंदिर में भगवान विष्णु धाम की 7.6 फीट ऊंची व 3.5 फीट चौड़ी मूर्ति स्थापित है। विष्णु धाम भगवान की यह मूर्ति स्वरूप में है और चार हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्मम स्थित है।
मूर्ति की वेदी पर प्राचीन देवनागरी में अभिलेख ‘ऊं उत्कीर्ण सूत्रधारसितदेव:’ उत्कीर्ण है। इस लिपि में आकार, इकार और ईकार की मात्रा विकसित हो गई है। ब्राह्मी लिपि में छोटी खड़ी लकीर के स्थान पर यह पूरी लकीर बन गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार की लिपि उत्तर भारत में नौवीं सदी के बाद मिलती है। प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (891-907 ई.) के दिघवा-दुली दानपात्र में इस शैली की लिपि का प्रयोग पुराने समय में किया जाता था। इस अभिलेख में मूर्तिकार ‘सितदेव’ का नाम भी लिखा हुआ है।
विष्णुमूर्ति के दांए व बांए दो और छोटी मूर्तियां हैं। यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है; कि ये मूर्तियां शिव-पार्वती की हैं या शेषनाग और उनकी पत्नी हैं। यह दुर्लभ मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब में खुदाई के दौरान मिली थी। सामस गांव व उसके पास गांवों में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियां मिलीं। इनमें से कई सामस गांव के जगदंबा मंदिर में ही रखी गई हैं।
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