• Friday, 01 November 2024
टाटी नरसंहार के पीड़ित पूर्व सांसद की प्रतिमा लगाने का कर रहे हैं विरोध

टाटी नरसंहार के पीड़ित पूर्व सांसद की प्रतिमा लगाने का कर रहे हैं विरोध

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टाटी नरसंहार के पीड़ित पूर्व सांसद की प्रतिमा लगाने का कर रहे हैं विरोध

शेखपुरा

शेखपुरा जिले की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई । 2001 से लेकर 2005 तक जिले की राजनीति उथल पुथल वाली रही। इस राजनीति के यू-टर्न का मामला टाटी नरसंहार के बाद सामने आया। इस नरसंहार में राजद के जिला अध्यक्ष सहित 9 लोगों की हत्या दिनदहाड़े अपराधियों ने कर दी थी। सभी लोग तत्कालीन राज्य मंत्री और बरबीघा के विधायक अशोक चौधरी के समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे।

इस नरसंहार में कांग्रेस के पूर्व सांसद राजो बाबू सहित उनके पुत्र एवं रिश्तेदारों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। प्राथमिकी दर्ज करने में तत्कालीन लालू प्रसाद यादव कि सरकार का सीधा हस्तक्षेप सामने आया था और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अभियुक्त बनाया गया था। कहा जाता है कि कई बार प्राथमिकी लिखी गई और फिर फाड़कर उसे फिर से लिखा गया।

अब जिला समाहरणालय में उनकी प्रतिमा लगाने की जब कवायद शुरू हुई तो नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने इसका विरोध शुरू कर दिया । इसको लेकर बैठक की गई और आवेदन देकर इसके विरोध की रणनीति बनाई गई।

 

इस विरोध के साथ ही जिले की राजनीति फिर से गर्म हो गई है। राजो बाबू के प्रतिमा लगाने का जहां एक तरफ विरोध शुरू हो गया है तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोगों में खुशी भी जाहिर की जा रही है। राजनीति में ऐसी समर्थन और विरोध के बीच जिले की राजनीति में गर्माहट देखी जा रही है।

26 दिसंबर 2001 में मारे गए थे 8 लोग

शेखपुरा बरबीघा रोड में टाटी पुल के पास 2001 में अपराधियों ने घेरकर 9 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था । इस नरसंहार में राष्ट्रीय जनता दल के जिला अध्यक्ष काशी पहलवान, अरियरी से जिला परिषद सदस्य अनिल महतो की हत्या हुई थी। इस नरसंहार में कुसुंबा पंचायत के मुखिया अबोध कुमार, करीहो निवासी सिकंदर यादव, करीमबीघा निवासी चालक विपिन कुमार सहित आठ लोगों की हत्या कर दी गई थी । सरेआम हुई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या से बिहार की राजनीति हिल उठी थी और इसमें पूर्व सांसद राजो बाबू सहित उनके पूरे कुनबे को नामजद अभियुक्त बना दिया गया था। इसी हत्याकांड में मारे गए लोगों के परिवार वालों के द्वारा पूर्व सांसद के प्रतिमा लगाने का विरोध किया जा रहा है।

9 सितंबर 2005 में पूर्व सांसद की गोली मारकर कर दी गई थी हत्या

पूर्व सांसद राजो बाबू

राजो बाबू की हत्या के बाद जहां जिले की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला वहीं जिले के विकास को लेकर विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व सांसद राजो सिंह की हत्या कर दी गई थी। राजो सिंह की हत्या शाम में कांग्रेस आश्रम में कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद जिले की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया और कई राजनीतिक लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। इसमें वर्तमान जदयू विधायक सुदर्शन कुमार सूचक के रूप में प्राथमिकी दर्ज कराई। कुख्यात अशोक महतो, कमलेश महतो का इसमें नाम आया।

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टाटी नरसंहार के पीड़ित कर रहे हैं प्रतिमा लगाने का विरोध

इस हत्याकांड में मारे गए लोगों के परिवार वालों के द्वारा प्रतिमा लगाने का विरोध किया जा रहा है पूर्व सांसद के प्रतिमा लगाने के विरोध को लेकर रविवार को एक बैठक शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र के सत्य विधि मोहल्ला में किया गया इसमें नरसंहार में मारे गए अवैध प्रसाद के भाई के आवास पर बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में टाटी नरसंहार के सूचक मुनेश्वर प्रसाद, बबन प्रसाद, भूषण प्रसाद, अवधेश प्रसाद, मथुरा यादव शामिल हुए। लोगों ने कहा कि टाटा नरसंहार में नामजद अभियुक्त बनाए गए थे पूर्व सांसद। उनके विरुद्ध पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल किया था।

बिहार केसरी की प्रतिमा लगाने की मांग

बैठक में सर्वसम्मति से जहां पूर्व सांसद के प्रतिमा लगाने का विरोध करने का निर्णय लिया गया वहीं बैठक में कहा गया कि इसी समाज के पूर्व मुख्यमंत्री एवं बिहार केसरी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह की प्रतिमा यहां लगाई जाए । वे जिले के धरोहर हैं।

 

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