• Friday, 01 November 2024
अनोखा: शेरशाह सूरी के कुंआ से यहां बनता है छठ के खरना का प्रसाद 

अनोखा: शेरशाह सूरी के कुंआ से यहां बनता है छठ के खरना का प्रसाद 

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अनोखा: शेरशाह सूरी के कुंआ से यहां बनता है छठ के खरना का प्रसाद
  • शिवकुमार पाठक/शेखपुरा
शेखपुरा जिले में ऐतिहासिक और धार्मिक सौहार्द सामंजस्य का एक नमूना शेरशाह सूरी के द्वारा 500 साल पहले खुदवाये गए कुंआ पर भी देखने को मिलता है। इस कुआं को खुदवाने का काम शेरशाह सूरी के द्वारा 1534 में किए जाने की बात स्थानीय लोगों के द्वारा कही जाती है। परंपरा के अनुसार 500 साल से इसी कुआं से पानी भरकर छठ महापर्व पर खरना का प्रसाद लोग बनाते हैं। पौराणिक समय में पानी का यह एकमात्र कुआं था । परंतु बदलते दौर में जहां अब घरों में बोरिंग, नलकूप, नल जल, चापाकल इत्यादि की व्यवस्था है। वैसे में मान्यता और परंपरा का निर्वाह करते हुए शेरशाह सूरी के बनाए इसी कुंआ से लोग पानी भरते हैं और विधि विधान से उसे घर तक ले जाते हैं। खरना का प्रसाद मनाते हैं।

शेरशाह सूरी का दाल कुंआ

स्थानीय लोग और जानकार बताते हैं कि 1534 में शेरशाह सूरी के द्वारा इस कुआं को खुलवाया गया था। इसका नाम दाल कुआं रखा गया है। यह शेखपुरा नगर परिषद के खांडपर स्थित है। दालकुंआ नाम इसका इसलिए पड़ा कि इस कुआं के पानी से दाल स्वादिष्ट और जल्दी पकने वाला बनता है। इसलिए लोग इसके पानी का उपयोग दाल बनाने में पहले करते थे। धीरे-धीरे इसकी मान्यता बढ़ गई और लोग इससे खरना का प्रसाद बनाते हैं। सुबह में लाल कुआं से पानी लेने के लिए छठ पर्व करने वाले के परिवारों की भीड़ रही और लोग यहां से पानी भरकर अपने अपने घरों में ले गए। जिससे छठ व्रती महिलाओं के द्वारा खरना का प्रसाद बनाया जाएगा।
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कौन था शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी का जन्म 1486 और मृत्यु 1545 ईस्वी में होने की बात आती है। शेरशाह सूरी के जन्म का नाम फरीद खान था उनका जन्म भारत में हुआ था और वह एक पठान थे। 1540 में हिमांयु को हराकर भारत में सूरी वंश की स्थापना में शेरशाह सूरी का नाम आता है। बताया जाता है कि शेरशाह बाबर के सेना में एक सैनिक थे। बाद में उसके पराक्रम को देखते हुए उसे सेनापति बनाया गया और हिमांयु को हराकर वे राजा बने।
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