सकारात्मक पत्रकारिता: डेढ़ साल से ऐसे बिछड़ गया था युवक और इस तरह परिवार से मिला, जानकर होगा अचंभा
सकारात्मक पत्रकारिता: डेढ़ साल से ऐसे बिछड़ गया था युवक और इस तरह परिवार से मिला, जानकर होगा अचंभा
शेखपुरा
जब किसी खबर पर डेढ़ साल से बिछड़ा कोई बालक अपने परिवार से मिल जाता हो तो इसे सकारात्मक पत्रकारिता कहा जाता है। वर्तमान समय में सनसनीखेज पत्रकारिता भले ही कुछ देर के लिए लोगों को लुभाती हो परंतु इस तरह की सामाजिक पत्रकारिता लोगों के लिए उसके बिछड़े परिवार को मिलाने का काम करती है। ऐसी ही एक पहल से एक बिछड़ा बालक अपने परिवार से मिल सका है। आपके अपने लोकप्रिय न्यूज़ पोर्टल ने केवल इस खबर को प्रकाशित किया जिसका असर सामने आया।
भूले -भटके बालक राम कुमार के परिवार की पहचान कर ली गई है। बालक राम कुमार का असली नाम टाइगर बिंद है और वह बरबीघा थाना के किशनपुर गांव का रहने वाला है। उसके पिता का नाम स्वर्गीय बिन्दे बिंद है और उसके दो भाई दिल्ली में मजदूर का काम करते हैं। बालक के पहचान के लिए उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर डाला गया था ताकि बालक की पहचान हो सके। बालक सिर्फ अपना घर केवलबीघा शेखपुरा बताता था। जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास के द्वारा केवलबीघा गांव में बालक का तस्वीर दिखा कर उसके परिवार की खोज का पूरा प्रयास किया गया लेकिन वहां उसकी पहचान नहीं हो पाई, तत्पश्चात उन्होंने बालक की तस्वीर मीडिया में छपवाई ताकि उसके परिवार की पहचान हो सके ।
साथ ही उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी प्रकाशित करवाया ताकि उसके बारे में कुछ जानकारी मिल सके। जिसका असर रहा कि आज दिल्ली से उन्हें एक व्यक्ति के द्वारा फोन किया गया और बताया गया कि से sheikhpuranews.com पर बालक की तस्वीर और उसका खबर पढा है। वह बालक केवलबीघा नहीं बल्कि किशनपुर गांव का रहने वाला है और उसका असली नाम टाइगर बिंद है। वह डेढ़ साल पूर्व गायब हो गया था और मानसिक रूप से बीमार है ।
उसके परिवार वाले उसका आधार कार्ड लेकर जिला बाल संरक्षण इकाई का कार्यालय शेखपुरा में उपस्थित हुए जहां से व्हाट्सएप कॉलिंग कर बालक को बाल गृह जमुई से उसके परिवार से बात कराया गया। बालक ने अपने परिवार की पहचान कर ली है तथा परिवार वालों ने ही बालक का पहचान कर लिया गया है। अब बालक् को उसके परिवार को सुपुर्द किया जाएगा ।बालक् को परिवार से मिलाने तथा उसके परिवार की पहचान करने में जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। श्रीनिवास के प्रयास से बालक को कम समय में उसका परिवार मिल सका। बालक डेढ़ साल से जमुई के बाल गृह में रह रहा था लेकिन उसका सही पता नहीं चल पाने के कारण उसे उसके परिवार तक नहीं पहुंचा जा सका था ।अब उसके परिवार की पहचान हो गई है , जो कानूनी प्रक्रिया होती है उसे पूरी कर बालक को शीघ्र सुपुर्द कर दिया जाएगा। श्रीनिवास ने बताया कि बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ है लिहाजा विभाग द्वारा उसका इलाज पटना में कराया जा रहा है जिससे उसके दिमाग की हालत काफी ठीक हुई है तत्पश्चात उसके परिवार की खोज में सहायता हुई।
इस खबर को अपनों के बीच यहां से शेयर करें
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!