कैदी के भागने के मामले में सुपरिटेंडेंट की भूमिका है संदिग्ध
कैदी के भागने के मामले में सुपरिटेंडेंट की भूमिका है संदिग्ध
शेखपुरा
शेखपुरा जिले के मटोखर में संचालित पैलेस ऑफ सेफ्टी किशोर उम्र के अपराधियों को रखने के लिए बिहार सरकार के द्वारा व्यवस्था की गई है। यहां जघन्य अपराधों में संलिप्त किशोर उम्र के कैदियों को रखा जाता है। पैलेस ऑफ सेफ्टी से किशोर उम्र का एक कैदी सोमवार को भागने में सफल रहा।
यहां से कई बार किशोर उम्र के कैदी फरार हो गए हैं। परंतु इसके लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई। वही कैदी के फरार होने पर डीएम इनायत खान के द्वारा इसकी जांच के आदेश दिए गए। जिसमें जांच टीम वहां पहुंची। जांच टीम में एसडीओ निशांत सहित अन्य लोग शामिल थे।
जांच टीम की मानें तो इस पूरे प्रकरण में सुपरिटेंडेंट की भूमिका ही संदिग्ध है और उसके ऊपर कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपा जाएगा। मिली जानकारी में जांच टीम के हवाले से बताया गया कि सरस्वती पूजा का आयोजन पैलेस ऑफ सेफ्टी में किया गया था।
इस पूजा के दौरान रात्रि में चार किशोर कैदियों को बैरक के बाहर ही रहने के लिए दिया गया था। ताकि प्रतिमा की देखभाल हो सके । इसी का फायदा उठाकर बेगूसराय के बरौनी थाना क्षेत्र अंतर्गत सिमरिया क्षेत्र का किशोर कैदी भागने में सफल रहा। उस कैदी पर हत्या सहित कई जघन्य अपराध में संलिप्त होने का आरोप है। कैदी के भागने के मामले में सुपरिटेंडेंट की भूमिका अधिकारियों की जांच में संदिग्ध पाई गई है।
वहीं सुपरिटेंडेंट के द्वारा नगर थाना में जो प्राथमिकी दर्ज कराई गई है उसमें गार्ड की भूमिका को संदिग्ध माना है और मिलीभगत से कैदी के भागने की बात लिखित रूप से आवेदन में कहा गया है। सुपरिटेंडेंट धर्मेंद्र कुमार के द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में गार्ड अशोक सिंह की भूमिका को संदिग्ध माना गया है और कहा गया है कि पूछताछ में भी सही जवाब नहीं दिया जा रहा। जबकि दो अन्य होमगार्ड के जवान भी ड्यूटी से गायब थे।
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