Exclusive Video: भूमिहारों को युद्ध में हरा दलितों ने किया मंदिर में प्रवेश
भूमिहारों को युद्ध में हरा दलितों ने किया मंदिर में प्रवेश
शेखपुरा
भूमिहारों को युद्ध में हराकर दलितों ने मंदिर में प्रवेश किया। यह नजारा नवमी के दिन देखने को मिला। दोनों तरफ से प्रतीकात्मक युद्ध में दलितों की जीत हुई और फिर मंदिर में दलित प्रवेश कर गए।
शेखपुरा जिले में जातीय भेदभाव को मिटाने और आपसी सामंजस्य को बढ़ाने को लेकर दशहरा पूजा में कई गांव में अलग-अलग तरह की परंपराओं का चलन देखने को मिलता है। इसी तरह का एक मामला मेहुस गांव में भी देखने को मिलता है। जहां नवमी के दिन भूमिहार और दलितों के बीच प्रतीकात्मक युद्ध होता है। इस युद्ध में भूमिहार समाज के लोग रावण की सेना बनते हैं और दलित समाज के लोग राम की सेना बनते हैं ।
दोनों के बीच नवमी के दिन प्रतीकात्मक युद्ध होता है । इस युद्ध में भूमिहार समाज के लोग दलितों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकते हैं। दोनों सेना में युद्ध होती है और भूमिहार समाज के लोग इसमें हार जाते हैं। और फिर दलित मंदिर में प्रवेश करते हैं। जिसके बाद सभी तरह की पूजा गांव में शुरू होती है।
सदियों पुरानी परंपरा का हो रहा पालन
यह परंपरा कई 100 साल पुरानी है। ग्रामीण अंजेश कुमार कहते हैं कि इस परंपरा के कई मायने हैं। रावण और राम के युद्ध के बहाने दलित समाज को सम्मान देने और आपसी भेदभाव मिटाने को लेकर यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। दलित समाज के लोग पहले मंदिर में प्रवेश करते हैं तभी मंदिर में किसी तरह की पूजा पाठ शुरू होती है। दलितों के मंदिर में प्रवेश की रोक को लेकर देश दुनिया में कई चर्चाएं हैं परंतु यहां माता महेश्वरी के मंदिर में दलित ही पहले मंदिर में प्रवेश करते हैं। प्रतीकात्मक युद्ध होता है। भूमिहार की हार होती है।और दलित मंदिर में प्रवेश कर पूजा का शुभारंभ करते हैं। भाईचारा और सामंजस्य का यह एक अनूठी मिसाल है जो देश में कहीं नहीं मिलेगी।
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