मजदूर दिवस पर खास, मालिक ने मजदूर को मरने के लिए छोड़ दिया फिर जो हुआ
मजदूर दिवस पर खास, मालिक ने मजदूर को मरने के लिए छोड़ दिया फिर जो हुआ
बरबीघा, शेखपुरा
जी हां, यह पूरा मामला शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड के जयरामपुर थाना क्षेत्र के तोयगढ़ गांव से जुड़ा हुआ है। इस गांव में एक बड़े किसान के द्वारा अपने घर में नौकर को किसी दूसरी जगह से लाया गया। उस नौकर का नाम दिलीप कुमार बताया जाता है। परंतु उसके अलावा कहां का रहने वाला है यह किसी को पता नहीं । कई सालों तक नौकर का शारीरिक दोहन किया गया। मेहनत मजदूरी करवाई गई और 2 वक्त का खाना दिया गया।
इसी बीच नौकर की तबीयत खराब हो गई। उसे पेशाब के रास्ते में समस्या हो गई और गंभीर बीमारी होने की बात सामने आई। धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर होने लगा तो मालिक ने नौकर को घर से भगा दिया। फिर गांव के सामुदायिक भवन में नौकर जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहा था । फिर किसी गांव वालों को उस पर तरस आई तो बुजुर्गों के लिए काम करने वाली संस्था से जुड़े विजय कुमार चांद को इसकी सूचना दी गई।
विजय कुमार चांद ने सामाजिक संस्था के रूप में काम कर रहे विवेकानंद संस्था से प्रांत स्तरीय जुड़े हुए पदाधिकारी एवं बरबीघा के माऊर गांव निवासी सेवानिवृत्त अभियंता सह निशुल्क छात्रावास में बच्चों को रहकर पढ़ाई कराने वाले M4 सेवा संस्था से जुड़े सत्येंद्र सिंह को इसकी सूचना दी गई।
मजदूर को बचाने में जुट गए लोग
फिर उन्होंने मरणासन्न अवस्था में मजदूर को लाकर बरबीघा के चिकित्सक डॉ कृष्ण मुरारी सिंह कहां भर्ती कराया । उनके द्वारा निशुल्क चिकित्सा सेवा 10 दिनों तक दी गई। सभी तरह का जांच करवाया गया फिर उसके बाद जो स्थिति आई उसमें पेशाब के रास्ते में गड़बड़ी का मामला सामने आया जो गंभीर बीमारी के रूप में था।
साथ ही शरीर में खून की मात्रा बिल्कुल ही कम थी। इसी बीच उसे बेहतर इलाज के लिए पटना ले जाने की सलाह दी गई। सत्येंद्र सिंह उसे पीएमसीएच में ले जाकर भर्ती कराया। 10 दिनों तक बरबीघा में इलाज हुआ और 30 दिनों तक पीएमसीएच में इलाज हो रहा है। चार यूनिट खून मजदूर को चढ़ाया गया । दो यूनिट खून की व्यवस्था समाजवादी नेता शिवकुमार के द्वारा करवाई गई जबकि दो यूनिट खून की व्यवस्था आश्रम से जुड़े लोगों ने किया। 30 दिनों तक बीमार मजदूर के लिए खाना उसकी देखभाल और सेवा किया जा रहा है।
डॉक्टरों ने कहा कि अब जान का नहीं है खतरा
सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि अब डॉक्टर उसे खतरे से बाहर बता रहे हैं । हर्निया का ऑपरेशन करने की तैयारी हो रही है। फिर यूरोलॉजी विभाग में उसका बड़ा ऑपरेशन होगा। अभी पेशाब का रास्ता बंद होने की वजह से उसके पेट में ऑपरेशन करके थैली के माध्यम से यूरिन निकालने की व्यवस्था कर दी है। आगे का ऑपरेशन भी किया जाएगा । ऐसे में इस बात की चर्चा खूब हो रही है कि जहां अपने ही आजकल अपनों का देखभाल नहीं करते और मरने के लिए छोड़ देते हैं वहीं एक पराए के लिए सेवा में जितेंद्र कुमार समाज में एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं।
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