विमर्श: तो क्या बिहार की अच्छी सड़कें बन गई है काल या लोग है गैर जिम्मेदार
विमर्श: तो क्या बिहार की अच्छी सड़कें बन गई है काल या लोग है गैर जिम्मेदार
News Desk
(आलेख वरिष्ठ पत्रकार अरुण साथी के फेसबुक से साभार)
बिहार की सड़कों पर मौत नाच रही है। इतने अधिक लोगों की मौत हो रही है कि कहा नहीं जा सकता। एक्सीडेंट की खबर करते-करते करेजा कहां पर जाता है।
छोटे से जिले शेखपुरा में लगातार मौतों का सिलसिला चालू है। राष्ट्रीय राजमार्ग 82 पर आज फिर हाईवा और ऑटो की टक्कर में 3 की जान चली गई। गुस्साए लोगों ने हाइवा ट्रक को फूंक दिया। पुलिस मूकदर्शक रही। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो ऑटो का संतुलन बिगड़ा और तेज रफ्तार हाईवा में उसने जाकर ठोक दिया।
इतनी अधिक मौतों के पीछे कई कारण हैं। उनमें एक कारण अच्छी सड़कों पर हमें अभी तक चलना नहीं आया है। यातायात नियमों का पालन तो हमने सीखा ही नहीं है।
और जिन की जिम्मेवारी यातायात नियमों के पालन कराने का है उनके लिए शराब पकड़ने सहित ढेर सारे काम हैं जिनमे नगद नारायण का दर्शन होता है। ऐसी मौतों को रोकने के लिए उन्हें फुर्सत नहीं।
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हादसों में ज्यादातर कम उम्र के लड़कों की जान बाइक हादसे में जा रही है। लग्न के मौसम में इसकी रफ्तार चरम पर है। कम उम्र के लड़के के द्वारा बाइक चलाना, ट्रिपल लोडिंग करना, फुल स्पीड में चलना, रेसर बाइक चलाना आम बात है। रेसर बाइक खरीद कर गार्जियन ही दे रहे हैं। फिर बच्चों की लाश पर रोने के लिए भी वही आते हैं।
यातायात नियमों में ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता जिला परिवहन विभाग की होती है परंतु उसकी दुर्दशा बिहार के अन्य विभागों की दुर्दशा की तरह ही है। भ्रष्टाचार का बोलबाला ₹10 हजार देने पर अनपढ़ आदमी को भी लाइसेंस दे दिया जा रहा। जितने लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस पिछले कुछ महीने में मिला है उनमें से सभी लोगों को कंप्यूटर का बिल्कुल ही ज्ञान नहीं। माउस भी नहीं पकड़ सकते परंतु यह सभी लोग कंप्यूटर ऑनलाइन टेस्टिंग में पास कर जाते हैं जबकि उन्हें कुछ भी ज्ञान यातायात नियम का नहीं है।
पैसे लेकर इन्हें पास करा दिया जाता है। इसकी जांच हो तो 99% लोग को इस बात में पकड़े जा सकते हैं। फिर बगैर ड्राइविंग टेस्ट लिए ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो जाता है। सब पैसे का खेल है और इस वजह से मौत सड़कों पर घूमती है। स्थिति यह है कि ऑटो और रिक्शा 10 साल के बच्चे भी चला रहे हैं परंतु पुलिस उस पर कार्रवाई नहीं करती। कम उम्र के लड़कों के बाइक अथवा अन्य वाहन चलाने पर उनके गार्जियन पर ₹25000 जुर्माना का प्रावधान है परंतु पुलिस यह नहीं करती है। हेलमेट, प्रदूषण, इंसुरेंस इत्यादि पर भी कठोर जुर्माना लगाने का प्रावधान केंद्र सरकार के द्वारा किया गया है परंतु पुलिस इस पर भी शिथिलता बरती है। कुल मिलाकर हमारे समाज की जिम्मेवारी तो है ही जिनके जिम्मे यह जिम्मेवारी है वह भी इसका पालन नहीं करते हैं और सड़कों पर मौत नाच रही है।
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