और आखिरकार कानून के आगे हार गई एक माँ की ममता
शेखपुरा।
कानून के आगे आखिरकार एक माँ की ममता हार गई और विवश होकर उसने अपने कलेजे के टुकड़े को कानून के हवाले कर दिया।
क्या है पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला शेखपुरा सदर प्रखंड के हथियामां थाना क्षेत्र के बादशाहपुर गांव का है। करीब 10 माह पहले कुणाल मांझी की पत्नी रेनू देवी को शेखपुरा नगर के चांदनी चौक पर रोता बिलखता एक बच्चा मिला था। बहुत छानबीन करने पर जब उस बच्चे का कोई गार्जियन सामने नहीं आया तो हिम्मत करके इस गरीब महिला ने उसे अपने साथ रखना स्वीकार कर लिया।
माँ जैसा दिया प्यार
उधर 10 माह में महिला ने उस खोए हुए बच्चे को माँ जैसी ममता देकर अपने बेटे के जैसा पाला-पोसा और सुरक्षित रखा। आखिरकार एक दिन गांव के लोगों ने बताया कि यह गैरकानूनी काम है और किसी भी खोए हुए बच्चे को आप बिना कानून की इजाजत के नहीं रख सकते तो महिला की ममता हार गई और उसने उस बच्चे को हथियामा थाना अध्यक्ष नीरज पांडे के हवाले कर दिया।
पुलिस के किया हवाले
बाद में पुलिस के द्वारा उस बच्चे को शेखपुरा बाल संरक्षण केंद्र में लाया गया जहां से कानूनी कार्रवाई करने के बाद बच्चे को नालंदा बाल गृह में भेज दिया गया। महिला की चाहती थी कि बच्चा उसके हवाले कर दिया जाए परंतु कानून इसकी इजाजत नहीं देता और इसी के बीच नियमों के कड़े होने से विवश होकर महिला कानून के आगे हार गई।
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