किसान बिल का विरोध करने वाले देखिए: गेहूं का सरकारी रेट ₹2015 बाजार भाव ₹2100 क्विंटल
किसान बिल का विरोध करने वाले देखिए:
गेहूं का सरकारी रेट ₹2015 बाजार भाव ₹2100 क्विंटल
News Desk
देश भर में किसान बिल लेकर खूब हंगामा हुआ । किसान बिल के विरोध के बीच इसकी वापसी में हुई । पक्ष विपक्ष में तर्क भी दिए गए। वहीं किसान बिल में सर्वाधिक विवादास्पद मुद्दा सरकारी रेट पर गेहूं धान की खरीद का ही रहा । वहीं इस बार गेहूं की खरीद का मामला सरकारी रेट से बाजार रेट अधिक होने पर अलग ही हो गया है और किसानों में खुशी है।
बिहार में 20 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने की कोई तैयारी अभी नहीं की गई है परंतु इस बार सरकारी खरीद का टारगेट प्रभावित होगा। किसान को बाजार में ही सरकारी रेट से अधिक रेट मिल रहा है। इसलिए किसान अब सीधे व्यापारी को ही गेहूं की बिक्री कर रहे।
इस संबंध में जानकारी देते हुए कई किसानों ने बताया कि व्यापारी किसानों के खलिहान में पहुंच रहे हैं और वहां ही ₹2100 प्रति क्विंटल गेहूं की खरीद हो रही है। कई कई जगह दुकान पर पहुंचाने पर ₹2200 प्रति क्विंटल मिल रहा है। ऐसे में 2015 प्रति क्विंटल सरकार को किसान गेहूं की बिक्री क्यों करेंगे।
शेरपर के किसान धर्मराज कुमार, रुस्तम कुमार बावनबीघा के किसान पिंकू अरियरी के करकी के किसान सुजीत सिंह, कोरमा के प्रदुमन इत्यादि ने बताया कि गेहूं की बिक्री व्यापारियों के हाथों हो रही है और किसानों को लाभ हो रहा है। पहली बार हुआ है जब सरकारी रेट से बाजार रेट अधिक हो गया है। बता दें कि इससे पहले सरकारी रेट से बाजार का रेट 20% से अधिक होता था। इस वजह से किसान सरकारी रेट पर सरकार को अनाज की बिक्री करते थे। परंतु इस बार प्राइवेट ही रेट अधिक मिला है। जिससे किसानों में खुशी है। पैक्स अध्यक्ष रामविलास सिंह कहते हैं कि इस बार किसान बिल्कुल ही पैक्स को गेहूं देने के लिए तैयार नहीं है। इससे बड़ी परेशानी हो रही है। उधर 20 अप्रैल से खरीद होनी है। सरकार ने टारगेट भी दे दिया है अब टारगेट कैसे पूरा होगा यह बड़ी समस्या है।
बता दें कि सरकारी रेट पर अनाज बेचने पर किसानों को काफी फजीहत होती थी। कहने को 48 घंटा में पैसा भुगतान का कानून था परंतु 2 सालों तक किसान दर-दर की ठोकरें खाते थे। इस बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सरकारी रेट पर बेचे गए अनाज का पैसा नहीं मिलने का मामला छाया रहा और 2 सालों से अधिक किसान परेशान रहे। कई किसानों को अभी भी पैसा नहीं मिला है।
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