सांसद गिरीराज सिंह, चंदन सिंह और गांव के कर्मयोगी युवकों की सड़क कथा
सांसद गिरीराज सिंह, चंदन सिंह और गांव के कर्मयोगी युवकों की सड़क कथा
न्यूज़ डेस्क
मिशन कर्मयोगी सहित पूरे कुटौत पंचायत को तहेदिल से बधाई
सांसद महोदय का विशेष आभार और मिशन कर्मयोगी के प्रमुख सदस्य अंकित, अनिकेत ,फूल बाबू ,पंकज दा ,गुलशन, धर्मेंद्र, बिट्टू ,छोटी भाय (सरदार),एवम् अन्य सभी सदस्यों का योगदान अतुलनीय रहा कुटौत आप सभी का आभार प्रकट करता है।
आज कुछ लंबा लिखूंगा आपका समय नष्ट करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं।
2014 में अमरेश कुमार (बाबूलाल भैया),गोपाल(भारतीय सेना) ने मुझे सड़क का मुद्दा उठाने के लिए प्रेरित किया । मै बरबीघा में था वहीं डाक बंगला पर तत्कालीन सांसद महोदय सह केंद्रीय मंत्रीगिरिराज सिंह जी का जनता दरबार लगा हुआ था हम तीनो वहीं पर आवेदन दिया माननीय मंत्री ने आश्वाशन दिया फिर मैं अपने गांव चला गया उसी दिन मंत्री महोदय मेरे गांव भी गए वहां इस मुद्दे पर लंबी तकरार हुई । इसके बाद शुरू हुआ बैठकों मीटिंग का सिलसिला मैंने गांव के सड़क और उच्च विद्यालय में शिक्षक की कमी के मुद्दे पर हर उस व्यक्ति और प्राधिकरण के पास गया जो यह काम कर सकता था। फिर शुरू हुआ सांप सीढ़ी का खेल , एक बार मैं 80 तक चला गया लेकिन फिर मुझे 81 वाले सांप ने डसा और आदरणीय गिरिराज दा का फंड से मेरे गांव का नाम काट दिया गया।
मैं पुनः 1 पर आ गया फिर मिशन कर्मयोगी का गठन हुआ और हम सभी सदस्यों ने अपना पूरा जोर लगाया इसमें मुझे अनिकेत के रूप में कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने वाला साथी मिला।
समय अपनी गति से बीतता रहा हमलोग आलोचना सुनकर आगे लड़ते रहे कभी प्रधानमंत्री तो कभी मुख्यमंत्री सहित कई अन्य को पत्र लिखने लगा लेकिन परिणाम ! वही ढाक के तीन पात।
उसके बाद समय आय 2019 का लोकसभा चुनाव मैं और अनिकेत पटना में थे और गांव में पूरी टीम इस इंतजार में थी कि एनडीए के प्रत्यासी वोट मांगने आएंगे तो गांव के लिए सड़क की मांग की जाएगी।
लेकिन जैसे ही मैंने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन गांव फोन किया तो पता चला कि कोई भी (निर्दलीय भी) प्रत्यासी वोट मांगने नहीं आया ,मेरा दिमाग सन्न रह गया । निराश होकर मै फेसबुक पर लिखा कि जब कोई वोट ही मांगने नहीं आया तो हमलोग नोटा को वोट देंगे। हमारी घोषणा सुनते ही राजनैतिक हलकों में भूचाल आ गया मेरे फोन की घंटी हर 5 मिनट पर घनघनाने लगी उन्ही लोगो के बीच डॉ पूनम शर्मा का फोन आया उन्होंने मुझे विश्वास दिलाने का प्रयास किया की तुम्हारा काम हो जाएगा और सांसद से बात करवाई कि सबकुछ ठीक होगा।
पिंजडी मुखिया का फोन आया,भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष संजीत प्रभाकर जी ने भी यही प्रतिबद्धता दोहराई अन्य कई अनगिनत फोन आने लगे।
मोनू भैया(डॉ विवेक सिंह) ने कहा कि डैमेज कंट्रोल के लिए तुम तुरन्त कुटौत जाओ
तमाम ऊहापोह के बाद मैंने अपनी टीम को वोट दे देने के लिए राजी कर लिया
माननीय चंदन सिंह भारी बहुमत से विजय हुए
हालांकि पड़ोसी होने के कारण हमलोग इनसे पूर्व परिचित थे
अब जब सांसद पड़ोसी हो तो क्या कहने । हमलोग कालोनी पार्क में कई बार मिले और घर भी जाना आना लगा रहा
मेरे अन्य सभी कार्य होते रहे लेकिन पढ़ाई में व्यस्तता के कारण सड़क का काम टलता रहा फिर मैंने निजी कारणों से फोन रखना बन्द कर दिया
यहां से अनिकेत ने मोर्चा संभाला वो सांसद महोदय की हर सूचना मुझ तक पहुंचाता रहा और सड़क के लिए बात करता रहा
और इसी कड़ी में कल अनिकेत के द्वारा सूचना मिली कि सांसद महोदय ने अपने सड़क के लिए अनुशंसा कर दी है
इस तरह हमलोग सांप सीढ़ी के खेल में 98 पर आ गए है। आशा है जल्द ही हम अपने पड़ाव पर पहुंचेंगे लेकिन 99 पर एक खतरा और है लेकिन हम उसे आसानी से पार कर जायेंगे
पुनः सांसद महोदय सहित अन्य जाने अनजाने सभी सहयोगियों का हार्दिक आभार
ग्रामीण युवक मोहन कुमार के फेसबुक से साभार
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