• Friday, 01 November 2024
सड़क को तरस रहे ‘ कूटोत अहियापुर’ के ग्रामीण समस्याओं के बीच जीना नियति बनी ग्रामीणों को

सड़क को तरस रहे ‘ कूटोत अहियापुर’ के ग्रामीण समस्याओं के बीच जीना नियति बनी ग्रामीणों को

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बरबीघा।

शासन-प्रशासन के विकास के लाख दावों के बीच आज भी ऐसे गांव हैं, जहां लोग पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कुछ ऐसा ही हाल बरबीघा विधानसभा के ग्राम पंचायत कुटोत के अहियापुर गाँव का है।


ग्राम जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर एवम प्रखंड कार्यालय से करीब 3 किमी दूरी में बसा यह गाँव पहुंचविहीन होने के साथ बेहद पिछड़ा हुआ है। इन गांवों तक पहुंचने के लिए दूसरे गाँव के ऊबड़-खाबड़ खतरनाक रास्तो से होकर गुजरना पड़ता है। इस कारण यहां के लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यहां शासन द्वारा उच्च विद्यालय हेतु हेतु भवन तो 2-3 वर्ष पूर्व बना दिया गया है परंतु आज तक गेट भी नही खुल पाया है।
शिक्षा,स्वास्थ्य केंद, सड़क, बिजली, हर घर नल जैसी सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शासन प्रशासन व् क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि गांव में पर्याप्त सुबिधा, रोजगार मुहैया कराने में नाकाम है।
पंचायत प्रतिनिधि, विधायक, सांसद इस गाँव के विकास को लेकर उदासीन है। यहां के विकास कार्य में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। यहां से चुने हुए लोग भी चुनाव पूर्व यहां के ग्रामीणों से विकास के कई वादे किए थे किन्तु निर्वाचित होने के बाद वे अपनी सभी वादों को भूलकर दोबारा गांव में कदम रखना भी जरुरी नहीं समझ रहे हैं। 1-वर्तमान समय में इन दोनों गांव के पास अपना रास्ता नहीं है दूसरे गांव के रास्ते होकर जाना पड़ता है वह भी जर्जर है गांव के अंदर का रास्ता की बात की जाए तो पैदल चलना भी मुश्किल है सड़क पर ही नाली बहने के कारण सड़क तालाब बना हुआ है जिससे यहां गुजर-बसर करने वाले ग्रामीणों को बीमारी का खतरा भी भरा पड़ा है।
2- स्वास्थ्य के लिहाज से खाना पूर्ति हेतु एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है परंतु सिर्फ नाम का ना तो इसमें इलाज हेतु दवाई या अन्य किसी प्राथमिक उपचार की चीजें उपलब्ध है और ना ही नियमित डॉक्टर या नर्स की उपस्थिति रहती है

शिक्षा का हाल तो अत्यंत दयनीय है इस दोनों गांव में प्राथमिक विद्यालय से लेकर प्लस टू तक है लेकिन इसकी स्थिति बहुत ही दयनीय भवन तो करोड़ों का बना दिया गया है परंतु बाकी कोई सुविधा सिर्फ खानापूर्ति के बराबर है जिसके कारण गांव की आबादी का 90% आबादी सरकारी विद्यालय में नहीं पढ़ रहा है और सभी निजी विद्यालय की ओर मजबूरी में जा रहे हैं हद तो इस बात की है कि माननीय मुख्यमंत्री के घोषणा पर गांव में 2 वर्ष पूर्व प्लस टू विद्यालय भवन बनकर तैयार हो चुका है परंतु आज तक उस विद्यालय का ताला भी नहीं खुला है इस कारण इंटर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की नजदीक में नही होने के कारण 60% छात्र-छात्रा 10 वी में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो जाते है क्योंकि यहां से 3 किलोमीटर दूरी पर ही अन्य प्लस टू विद्यालय हैं
4-नल जल योजना गांव में हर घर नल जल योजना की स्वीकृति 2 वर्ष पूर्व हो चुकी है परंतु आज तक इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया
5-किसानों की समस्या यह दोनों गांव मुख्य रूप से कृषि आधारित गांव है सबसे बड़ी समस्या जमीन का रसीद कटाना क्योंकि किसी भी जमीन का रसीद तत्कालीन कर्मचारी अपनी व्यवस्था को दिखाते हुए उल्टा पुल्टा काट देते हैं और कर्मचारी बदलने पर पूर्व से कटी गयी रसीद को गलत कह का नहीं काटा जाता है, ओर तो ओर ऑनलाइन ओर ऑफलाइन के चक्कर मे किसान को एक रसीद कटाने में महीनों बित जाते है,जिस कारण ऑनलाइन मिलने वाली सुविधाओं में सभी को वंचित रहना पड़ता है,दिनोंदिन समस्या जटिल होती जा रही है
6-सिंचाई सिंचाई दोनों गांव में 3 नलकूप है परंतु एक नलकूप भी चालू अवस्था में नहीं है जिस कारण किसानों को काफी परेशानी होती है जिनके पास स्वयं के साधन उपलब्ध नहीं है उनका फसल नष्ट हो जाता है सरकार के द्वारा बोरिंग कराने हेतु अनुदान का लाभ भी आम किसान के पास नहीं पहुंच पाता है किसानों का फसल बीमा,अनुदान जैसे लाभ से भी वास्तविक किसान वंचित रह जाते है।
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उपरोक्त समस्या जटिल समस्या है दुर्भाग्य है कि आजादी के 60 वर्ष बाद भी सरकार द्वारा लाख कोशिशों के बाद इस दोनों गांव में सड़क शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी आज तक नहीं हो पाया शासन-प्रशासन लाख दावा करे परंतु इस गांव के लोग आज भी अपना जीवन गाँव मे रहकर नही जीना नही चाहते है।

चुनाव में दिखाते है कई लुभावने वादे
पंचायत प्रतिनिधि, विधायक सांसद के प्रत्याशी भी चुनाव से पूर्व यहां के ग्रामीणों को सब्जबाग दिखाकर वोट मागते हैं किंतु चुनाव जीतने के बाद उनके द्वारा कोई खोज खबर नहीं ली जाती है। इस तरह की वादा खिलाफी आजकल आम सी हो गयी है,

यहां के विकास कार्य प्रभावित होने की मुख्य वजह सड़क की सुविधा का न होना भी है। मात्र 1 किलोमीटर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के रास्ते भी आजादी के 70 साल बाद सम्भव नही हो पाया है?

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