सच है: नीतीश कुमार के आदेश पर भी 2007 से शुरू सड़क का अभी तक निर्माण नहीं, कई गांवों तक नहीं पहुंची है सड़क..
पानापुर (घाटकुसुम्बा) से नितीश कुमार की भेजी रिपोर्ट
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह दावे झूठे हैं यह आंकड़े किताबी हैं। महान कवि दुष्यंत कुमार की यह कविता आपको यहां चरितार्थ होती हुई दिखेगी। यह शेखपुरा जिले के घाटकुसुंबा प्रखंड के पानापुर पंचायत का नजारा है जहां आज भी सड़क नहीं है और लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर हैं।
कई गांव टापू में तब्दील
हरूहर ,सोमे मौना जैसे नदियों के गोद में बसा यह पंचायत घाटकुसुम्भा प्रखंड में जुड़ने के बाद भी 25 सालों से आज तक नेता जी की आस्वासनो की घुट्टी पी पी कर जीने को मजबूर है। इस पंचायत के आलापुर ,पानापुर ,प्राणपुर ,जितपारपुर ,एव हरनामचक गावं है जो की टापुओं में तब्दील है।
लालू प्रसाद यादव ने किया था उद्घाटन
1993 में ही तत्कालीन मुख्य्मन्त्री लालू यादव ने घाटकुसुम्बा ब्लॉक की नींब रखी थी जिसमे पानापुर पंचायत को लखीसराय जिला से काटकर इस ब्लॉक में शामिल किया गया। तब से अब तक यहां सड़क के नाम पर सिर्फ पगडंडियाँ ही रह गयी है।
2007 नीतीश कुमार ने की पहल
नीतीश कुमार को पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर इस पंचायत में 2007 में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत कोयला से आलापुर तक सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया गया पर संवेदक द्वारा रातों रात जबरन सड़क में आ रहे घरों को ढाह दिए जाने के कारण पानापुर के ग्रामीण और संवेदक में हुए विवाद के कारण जो सड़क निर्माण कार्य रुका आज तक पुनः शुरू नहीं किया गया। जिसका आलम यह है कि पानापुर के लोगों को शेखपुरा या घाटकुसुम्भा जाने के लिए भी कई बार सोचने को मजबूर होना पड़ता है।
इतना ही नही कई बार इन क्षेत्रों में नदी पर करने के दौरान राहगीरों को डूबने या नाव हादसा होने के कारण लोगों की जान जा चुकी है पर इसके बावजूद अब तक प्रसाशनिक अधिकारियों की नींद तक नही खुली है।
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