बच्चों का पहचान उजागर करना कानूनी अपराध, पत्रकारों पर भी मुकदमा होगा दर्ज
बच्चों का पहचान उजागर करना कानूनी अपराध, पत्रकारों पर भी मुकदमा होगा दर्ज
शेखपुरा
किशोर न्याय (बालको की देख-रेख एबम संरक्षण) अधिनियम 2015 पर एक दिवसीय प्रशिक्षण मंथन सभागार में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण सत्र का उद्घटान जिला पदाधिकारी सावन कुमार के द्वारा किया गया। प्रशिक्षण में सभी थाना के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर किशोर न्याय अधिनियम में मीडिया के लिए बनाए गए कानूनी धाराओं पर भी चर्चा की गई ।
इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चे जन्म से अपराधी नही होते। बच्चों को समाज की मुख्य धारा में आने का मौका मिलना चाहिए। जिलाधिकारी ने प्रशिक्षकों को कहा कि कानून की भाषा को सरल कर पुलिस अधिकारियों को समझाया जाय ताकि बच्चों को सही संरक्षण मिल सके। इस अवसर पर डी एस पी मुख्यालय संदीप गोल्डी ने कहा कि पुलिस प्रशासन सदैव बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में काम करती है इसके लिए बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण आवश्यक है।
बच्चों का पहचान उजागर करना कानूनी अपराध
उन्होंने कहा कि देख-रेख या बिधि-विवादित बच्चों का पहचान उजागर करना कानूनी अपराध है और इसके लिए पत्रकारों पर भी मुकदमा दर्ज किया सकता है । इस दौरान जिला बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक डॉ अर्चना कुमारी ने पुलिस पदाधिकारियों को बाल कल्याण पदाधिकारी के रूप में अपनी भूमिका निभाने का अनुरोध किया । प्रशिक्षण सत्र का संचालन कर रहे जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ने पुलिस अधिकारियों को केस स्टडी तथा कहानी सुनाकर बाल मित्र बनने के लिए प्रेरित किया तथा कहा कि अगर बच्चे के अपराध को समझकर उसे माफी नही दी जायेगी तो उसे समाज की मुख्य धारा में आने का मौका नही मिलेगा। बच्चे कल का भविष्य है। लिहाजा जे जे एक्ट बच्चों के संरक्षण की बात करती है।
बच्चों को मिले जमानत चाहे अपराधी कुछ भी हो
प्रशिक्षक ले रूप में यूनिसेफ पटना से आये परामर्शी शाहिद जावेद ने कहा कि जे जे एक्ट के सेक्सन 12 में प्रावधान है कि अगर बिधि-विवादित बालक को जमानत देने पर उस बच्चे का अहित नही होता है तो इस बालक को जमानत पर छोड़ा जा सकता है चाहे वह कोई भी अपराध किया हो। इस दरम्यान यूनिसेफ के प्रशिक्षक सैफुर रहमान ने बताया कि जिस बजी बालक का उम्र 18 वर्ष पूरे नही हुए है वह किशोर की श्रेणी में आता है और उसके लिए किशोर न्याय अधिनियम में विशेष प्रावधान है तथा बच्चे के कल्याण के लिए काम किया जाता है । इस दौरान बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को बताया गया कि किसी बजी हाल में बच्चे को हथकड़ी नही लगाई जायगी, उसे लॉक आप या जेल में नही रखा जायेगा।पुलिस सादी वर्दी में बच्चों के सामने नही आएंगे।उन्होंने कहा कि बच्चों की गोपनीयता भंग नही करना है ,अगर इसका उलंघन कोई भी करता है उसके लिए दण्ड का प्रावधान है ।
प्रशिक्षण में बताया गया कि पेटी नेचर यानी छोटे-मोटे अपराध के बच्चों पर एफ आई आर नही नोट करना है। वैसे मामले में सिर्फ स्टेशन डायरी दर्ज कर बालक के साथ उसके गार्जियन को जे जे बी में उपस्थित होने की सूचना देंगे तथा ऐसे मामले चार महीने मे खत्म जो जायगा।प्रशिक्षण में बच्चों के लिए जे जे एक्ट की धारा 74 से मीडिया कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया गया तथा उन्हें सम्मानित किया गया। प्रशिक्षण सत्र में सी पी ओ सच्चिदानंद कुमार,सी डब्लू सी मेम्बर सुनील सिंह, प्लेस आफ सेफ्टी के अधीक्षक धर्मेंद्र कुमार ने भाग लिया
इस खबर को अपनों के बीच यहां से शेयर करें
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!