शिक्षक से मुखिया, विधायक और सांसद का सफर तय कर अपराजेय योद्धा रहे राजो बाबू : जयंती पर विशेष
शिक्षक से मुखिया, विधायक और सांसद का सफर तय कर अपराजेय योद्धा रहे राजो बाबू : जयंती पर विशेष
न्यूज़ डेस्क/ एडिटोरियल
शेखपुरा जिले के शान कहे जाने वाले और अपराजेय योद्धा के रूप में चिर परिचित राजो बाबू को जिले के सभी लोग आज जयंती पर नमन कर रहे हैं। जिला की राजनीति में उनकी पहचान आज भी जीवंत है।
25 मार्च 1926 को हुआ था जन्म
राजो सिंह का जन्म अपने पैतृक गांव हथियामा में 25 मार्च 1926 को हुआ था। राजो बाबू एक शिक्षक के रूप में कार्य करते थे। सामाजिक कामों और राजनीति में उनकी रुचि ने उन्हें नौकरी से त्याग दिला दिया और फिर वह अपने गांव शेखपुरा जिले के हथियामा से पंचायत चुनाव लड़े पंचायत चुनाव में और मुखिया पद पर सुशोभित हुए।
बिहार केसरी के पुत्र को निर्दलीय पराजित किया
मुखिया से राजनीति में सक्रिय हुए राजो बाबू ने 1972 में बरबीघा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार हुए और बिहार केसरी के पुत्र शिव शंकर सिंह को पराजित कर दिया।
विधानसभा की राजनीति में उनका सफर यहां से शुरू हुआ तो वह अपराजेय योद्धा के रूप में लगातार अपनी जीत दर्ज करते रहे।
1972 से लेकर 1998 तक लगातार विधायक रहे । शेखपुरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे ।1998 से लेकर 2004 तक लोकसभा की राजनीति में दस्तक दी और दो बार लोकसभा के सांसद चुने गए।
पुत्र संजय सिंह शेखपुरा विधानसभा से निर्वाचित हुए और भूमि सुधार राजस्व मंत्री के पद को राज्यमंत्री के रूप में सुशोभित किया। सुनीला देवी भी दो बार शेखपुरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में बरबीघा से जदयू के विधायक सुदर्शन कुमार इनके पौत्र हे।
9 सितंबर 2005 को गोली मारकर हत्या
विकास के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले राजो सिंह की हत्या 9 सितंबर 2005 को गोली मारकर कांग्रेस आश्रम में अपराधियों ने कर दी। शेखपुरा के कांग्रेसी आश्रम में वे उस समय विकास की रणनीति ही बना रहे थे । तभी अपराधियों ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी।
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