• Friday, 01 November 2024
सदर अस्पताल में मरीज को निजी क्लीनिक में भेजने पर आक्रोश

सदर अस्पताल में मरीज को निजी क्लीनिक में भेजने पर आक्रोश

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शेखपुरा

नगर परिषद की बैठक में सदर अस्पताल में लापरवाही को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कई बार पार्षदों ने नगर परिषद में संचालित सदर अस्पताल में चिकित्सकों के नहीं रहने। साथ ही साथ संस्थागत प्रसव में लापरवाही करते हुए प्रसव कराने के लिए आई महिला को नर्सों के द्वारा निजी क्लीनिक से मिलीभगत कर उसे वहां भेज देने का मामला भी उठाया। इस मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई। कई पार्षदों ने कहा कि सदर अस्पताल के नर्सों के द्वारा निजी क्लीनिक से पैसा लेकर मरीज को वहां भेज दिया जाता है। साथ ही साथ सिजेरियन ऑपरेशन की व्यवस्था सदर अस्पताल में नहीं होने से गरीब मरीजों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसको लेकर सदर अस्पताल को कई बार पत्राचार भी किया गया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

सिजेरियन ऑपरेशन करने की मांग

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बैठक में कई वार्ड पार्षदों ने कहा कि सिजेरियन ऑपरेशन सदर अस्पताल में करने की व्यवस्था कई साल से नहीं है। सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से मरीज को प्राइवेट में जाना पड़ता है। जहां हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं। प्राइवेट में 50000 से ₹100000 मरीज को देना पड़ता है। जबकि सदर अस्पताल में सभी तरह की व्यवस्था है। वैसे में सदर अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन चालू किए जाने की मांग भी वार्ड पार्षदों के द्वारा किया गया । जबकि प्रस्ताव में कई नर्सों के द्वारा प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली महिलाओं को बहला-फुसलाकर निजी क्लिक में भेज देने की बात सामने आई। पार्षदों ने आवाज उठाते हुए कहा कि कई नर्सों के द्वारा निजी क्लीनिक से मिलीभगत कर लिया गया है। वहां से पैसा लिया जाता है और फिर मरीज को वहां रेफर कर दिया जाता है। इसको कुछ ना कुछ बहाना बनाकर डरा दिया जाता है ताकि वहां चले जाएं और इस मामले का खुलासा भी नहीं हो पाता। वार्ड पार्षदों ने प्रस्ताव में इस पर विचार किया है और जमकर आक्रोश व्यक्त किया है।

उधर एक बार पार्षद ने बताया कि सदर अस्पताल के एंबुलेंस चालक का भी पटना के निजी क्लीनिक से सांठगांठ है और यहां के मरीज को जब रेफर किया जाता है तो मरीज के परिवार वालों को डराकर एंबुलेंस चालक पटना के निजी क्लिनिक में मरीज को लेकर चले जाते हैं और वहां से मरीज के परिवार वालों से लाखों रुपए ठग लिया जाता है। इसमें कई गरीब परिवार कर्ज में डूब जाते हैं और कई को खेत और जमीन भी बेचना पड़ता है। चालक के द्वारा इस तरह की मिलीभगत की बात लगातार की जाती है जिसमें गरीब को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले खाना में भी लापरवाही बरती जाती है। और मीनू के अनुसार नहीं मिलता है। साफ-सफाई और रखरखाव करने वाली संस्था भी गोलमाल करती है।

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