• Friday, 01 November 2024
सर्जन बने रसूखदार झोलाछाप डॉक्टरों पर FIR का आदेश, DM इनायत खान सख्त

सर्जन बने रसूखदार झोलाछाप डॉक्टरों पर FIR का आदेश, DM इनायत खान सख्त

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शेखपुरा

जिला अधिकारी के द्वारा सर्जन बन के झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज किए जाने पर एफ आई आर का आदेश दे दिया गया है। इस एफ आई आर के बाद झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप मचा हुआ है। जिला मुख्यालय से लेकर बरबीघा प्रखंड मुख्यालय सहित जिला के कई प्रखंड मुख्यालयों और गांव में गंभीर बीमारियों का झोलाछाप डॉक्टर के द्वारा ऑपरेशन किया जा रहा है। गंभीर और जानलेवा इस ऑपरेशन की रिपोर्ट प्रकाशित होने पर जिलाधिकारी इनायत खान ने संज्ञान लिया और इसके लिए जांच टीम गठित कर जांच करवाई। जांच में इस मामले को सत्य पाया गया। अब जिलाधिकारी का सख्त रुख सामने आया है और डॉक्टरों पर एफ आई आर का आदेश दे दिया गया है।

क्या है पूरा मामला, और कैसे होता है ऑपरेशन

शेखपुरा जिले में झोलाछाप डॉक्टर अथवा कंपाउंडर अथवा नर्स के द्वारा गंभीर बीमारियों का ऑपरेशन किया जाता है। वहां सर्जन नहीं रहते हैं । ना ही कोई एनेस्थीसिया ही रहता है। ऑपरेशन थिएटर का हाल भी जानलेवा रहता है और इससे संक्रमण फैलने की बात बढ़ती है जांच में सभी बात का खुलासा हुआ है ऑपरेशन के बाद मरीजों के रखने की व्यवस्था भी संक्रमण रोधी नहीं होता है और मरीज की जान पर खतरा बना रहता है।

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5000 में दवाई सहित ठीके पर ऑपरेशन

अपेंडिक्स का ऑपरेशन 5000 में दवाई सहित ठीके पर हो रहा है। जबकि पथरी का ऑपरेशन ₹15000 में ठेका लेकर होता है। इसमें दवाई भी शामिल है। गरीब लोगों के साथ जानलेवा ऑपरेशन किया जाता है। इसमें कई बार गरीबों की जान चली जाती है। फिर पैसे देकर इसे मैनेज कर लिया जाता है ।बइसी का खुलासा अखबार में किए जाने के बाद जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया। जांच का आदेश दिया कि अधिकारी अर्चना कुमारी ने बरबीघा में इसकी जांच में मामला सही पाया और बरबीघा के नारायणपुर में संचालित भवानी किलनिक, परसोबीघा में संचालित महादेव नर्सिंग होम, अर्जुन टॉकीज सिनेमा हॉल के बगल में संचालित अंजीरा नर्सिंग होम में चिन्हित किया गया। प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

रसूखदार है लोग, पैसे से दब जाता था मामला

झोलाछाप डॉक्टर ऑपरेशन में जहां कम पैसे लेकर ऑपरेशन करते हैं वही पैसे के दम पर इस पूरे मामले को दबाए रखे हैं। बिना निबंधन के ही सारा अस्पताल चलता है और जब भी जांच की बात आती थी तो जांच के बाद मामले को दबा दिया जाता था। बताया जाता है कि ऐसे लोग काफी रसूखदार हैं। और उनकी पहुंच दूर तक है। इस घटना में भी लगातार कई नेताओं की पैरवी आनी शुरू हो गई और दवाब भी बनाए जाने लगा। बताया जाता है कि दबाव बनाने के लिए नेताओं के साथ-साथ अस्पताल के चिकित्सक भी शामिल हो गए। इस मामले में नालंदा जिले के अस्थामा अस्पताल के एक चिकित्सक ने भी काफी दबाव बनाया। परंतु जिलाधिकारी इनायत खान के सख्त रुख पर किसी का दबाव काम नहीं आया और मामले में एफआईआर होने की बात आ गई है।

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