• Friday, 01 November 2024
Nawada Lok Sabha: भाजपा राजद की लड़ाई में कहीं निर्दलीय की भुमिका निर्णायक की तो नहीं...?

Nawada Lok Sabha: भाजपा राजद की लड़ाई में कहीं निर्दलीय की भुमिका निर्णायक की तो नहीं...?

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 नवादा लोकसभा: भाजपा राजद की लड़ाई में कहीं निर्दलीय की भुमिका निर्णायक की तो नहीं...?
 
नवादा लोक सभा से संपादकीय टीम की रिर्पोट
 
नवादा लोकसभा में 19 अप्रैल को चुनाव है। लोकसभा के कुल 6 विधानसभा में 20 लाख लगभग मतदाताओं के द्वारा  8 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला किया जाना है। 8 प्रत्याशियों में भारतीय जनता पार्टी के विवेक ठाकुर और राष्ट्रीय जनता दल के श्रवण कुशवाहा प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच के प्रत्याशी हैं।
राष्ट्रीय जनता दल के नवादा जिला में प्रमुख नेता और पार्टी को सींचने में सहयोगी रहे राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव टिकट नहीं मिलने पर यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उम्मीदवार हैं। इनके साथ नवादा विधायक इनकी भाभी विभा देवी, रजौली विधायक प्रकाश वीर, विधान पार्षद अशोक यादव सहित पंचायत प्रतिनिधियों की बड़ी टीम है। स्थानीय स्तर पर लोगों की सक्रीयता है।
 
राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नवादा लोकसभा सहित बिहार के औरंगाबाद, पूर्णिया, औरंगाबाद में प्रयोग कर दिए हैं। यह प्रयोग नीतीश कुमार के वाेट बैंक को अपने साथ लाने का है।
इसी प्रयोगशाला का हिस्सा नवादा लोकसभा बना है। जिसमें नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास के तौर पर श्रवण कुशवाहा को लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया है। हलांकि इससे उनका अपना वोट बैंक गुस्सा में है। 
 
वहीं लव कुश के समीकरण में सेंधमारी के लिए बाहुबली अशोक महतो के जेल से बाहर आने के बाद उसने कंधे पर जिम्मेदारी रख दी गई है। अशोक महतो की पत्नी को मुंगेर से लोकसभा प्रत्याशी बनाकर इसी प्रयोगशाला में प्रयोग का हिस्सा बनाया गया है।
 
19 अप्रैल को होने वाले चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं। कम समय में उम्मीदवारों की घोषणा होने पर सभी उम्मीद सभी गांव में नहीं पहुंच पा रहे। पार्टियों की ब्रांडिंग और जाति   के आधार पर   मतदाताओं के द्वारा असमंजस के बीच ही अपने-अपने समर्थकों को वोट किया जाना है।
 
 
बरबीघा विधानसभा में अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले रामनाथ विश्वकर्मा एवं पैन निवासी भूमिहार राजीव कुमार कहते हैं कि  लोकसभा में जातिवाद का मुद्दा प्रमुख है। कोई कुछ नहीं करता। गुंजन सिंह स्थानीय है। 
 
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राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे गौण हो जाते हैं। इसी में वारसलीगंज में जब चुनावी समीकरण को नापने के लिए मुन्ना चौक पर प्रमोद यादव से बात की जाती है। कहते हैं कि कोई   वोट मांगने नहीं आया है।  विधायक जी, (राज वल्लभ यादव को कहते हैं) के भाई उम्मीदवार हैं। वे लोग आएंगे तब देखा जाएगा। उधर , नवादा के केंदुआ के पास एक होटल में सिंटू सिंह मिलते हैं। जो राजबल्लव यादव के पक्ष में खुलकर अपनी बात रखते हुए कहते हैं की पार्टी को उनके द्वारा यहां सींचा गया है और उनको टिकट नहीं देकर जबरदस्त गलती की गई है।
 
इसी बीच नवादा शहर के ही केंदुआ से थोड़े से आगे पुल के नीचे कई लोग ताश खेलते हुए दिखाई पड़ते हैं। वे लोग जमकर अपनी भड़ास निकालते हैं और कहते हैं कि यहां पुल के नीचे जल जमाव बना हुआ है। राशन किसी को नहीं मिलता। हालांकि इस में से एक युवक के द्वारा कहा जाता है कि हम लोग टेंपो चलाने वाले हैं। उनका सीधा इशारा विनोद यादव के चुनाव चिन्ह पर है। जबकि एक व्यक्ति के द्वारा निर्दलीय लड़ रहे गुंजन सिंह के साथ गायकी करने का राग भी अलावा जाता है।
 
जातीय समीकरण में विवेक ठाकुर भूमिहार जाति से हैं और इसी जाति से भोजपुरी के गायक गुंजन सिंह पहली बार राजनीति में उतरकर लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी दी है। उनके साथ कुछ  एनडीए गठबंधन से जुड़े रहने वाले लोग भी शामिल हैं।
 नंद सिंह 
 
उधर ,   कुशवाहा के चुनावी मैदान में भी कई लोगों का समर्थन मिल रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के कोर वोट बैंक के साथ अशोक महतो का समर्थन जिले में प्रभावित कर रहा है। समीकरण के वोट बैंक में लव कुश और अति पिछड़ा के वोट बैंक भी नीतीश कुमार के साथ इनटैक्ट माना जाता हैं। इसे तोड़ने में जाति के नाम पर कुशवाहा लगे है।    लालू प्रसाद यादव का भी यहां सभा होना है।  कहा जाता है कि वारसलीगंज में इसका खासा प्रभाव रहेगा।
 
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा 7 अप्रैल को ही नवादा में हो गया। राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में कई लोग राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे को भी देखते हैं। राम मंदिर के मुद्दे पर सवाल करने पर लोग कहते हैं कि यह बिल्कुल ही प्रभावित करेगा। शेखपुरा के कोसरा में अस्सी साल के नंद सिंह भड़कते हुए  कहते  है  कि  देश  सेना  का  अस्त्र  बनाना,  राम मंदिर,  घर  घर  अनाज  सब कुछ तो दिया तो वोट किसी देंगे। वो बैंक में सेंधमारी और अपनी दावेदारी को लेकर  उम्मीदवार भी सक्रिय है। 
 
कुल मिलाकर स्थानीय स्तर पर समीकरणों में निर्दलीय की भूमिका लोकसभा चुनाव में निर्णायक का माना जा रहा है। एक तरफ विनोद यादव तो दूसरी तरफ भोजपुरी गायक गुंजन सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराने में लगे हुए हैं।  
 
 
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