राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को यहां नहीं मिला सम्मान, जानिए क्या है मामला
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को यहां नहीं मिला सम्मान, जानिए क्या है मामला
शेखपुरा
साहित्य के पुरोधा पुरुष रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा और उर्वशी जैसे काव्य ग्रंथों के रचनाकार राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का नाम लेकर भला कौन गौरवान्वित महसूस नहीं करता हो परंतु विडंबना ऐसी है कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उनके कर्म भूमि पर ही सम्मान नहीं मिला।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की कर्मभूमि है यह धरती। यहां बने पहले प्रधानाध्यापक, मिलता था 41 रूपये वेतन। –
दरअसल राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर शेखपुरा जिले के कर्म भूमि पर अपने कई साल गुजारे। यहां की यादों को समेटते हुए उन्होंने कविताओं की भी रचना की और जीवन यापन के लिए यहां नौकरी भी किया। इसी कड़ी में सर्वप्रथम बरबीघा उच्च विद्यालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बने।
1933 में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बरबीघा उच्च विद्यालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक बने। फिर 1934 से लेकर 1942 तक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने शेखपुरा में सब रजिस्ट्रार के रूप में काम किया।
दोनों ही जगहों पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की उपेक्षा का मामला सामने आया है । बात यदि बरबीघा उच्च विद्यालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक रामधारी सिंह दिनकर से जुड़ी यादों की करें तो इस उच्च विद्यालय में रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा लगाकर उनकी यादों को सहेजा गया है। पुण्य तिथि और जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी जाती है परंतु इस उच्च विद्यालय का नामकरण रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर करने का प्रस्ताव लंबित पड़ा हुआ है।
दरअसल रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण नीतीश कुमार ने किया गया था। उस समय इस उच्च विद्यालय का नाम रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर करने की मांग स्थानीय लोगों के द्वारा की गई थी परंतु आज तक यह संभव नहीं हो सका। इससे यहां के लोगों में काफी नाराजगी है। उस समय नीतीश कुमार की सभा में उपस्थित रहने वाले जदयू के नेता शिवकुमार ने मुख्यमंत्री को रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर उच्च विद्यालय का नाम करने की मांग रखी थी। वह अब उनसे अलग राजनीति कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह बहुप्रतीक्षित मांग है परंतु नीतीश कुमार के द्वारा जानबूझकर उपेक्षा की जाती है । शिव कुमार के द्वारा रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर धिक्कार दिवस भी मनाया गया था।
उधर, रामधारी सिंह दिनकर जिस जगह पर 1934 से लेकर 1942 तक 8 वर्षों तक सब रजिस्ट्रार की नौकरी की ऐसे धरोहर का नामोनिशान ही मिटा दिया गया। दरअसल इस धरोहर को शेखपुरा नगर परिषद के कटरा चौक के बगल में सहेज कर रखा जाना चाहिए था परंतु नगर परिषद के द्वारा उसे ध्वस्त कर के वहां सब्जी मंडी बना दिया गया है और आज उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है।
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