सबसे खतरनाक है शेखपुरा जिला में पर्यावरण की स्थिति, एक प्रतिशत भी वन क्षेत्र नहीं
- श्रीनिवास, वरिष्ठ पत्रकार
आज 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है । याद आ गई की सरकार पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षारोपण का कार्यक्रम चलाते रहती है । पर्यावरण को हरा-भरा करने के लिए तथा जंगल क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम भी चला रही है । बिहार सरकार ने जल- जीवन -हरियाली भी चला रखी है लेकिन यह कहते हुए काफी निराशा हो रही है कि बिहार के सबसे छोटे जिले शेखपुरा में वन का क्षेत्रफल अभी भी 1% से कम है, जबकि संतुलित पर्यावरण के लिए 17 पर्सेंट वन का होना आवश्यक है। शेखपुरा में बड़ी संख्या में खनन के कारोबार फल- फूल रहे हैं, सैकड़ों व्यक्ति खनन के कारोबार से अरबपति बन चुके हैं लेकन त्रासदी यह है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए उन कारोबारियों ने कुछ भी नहीं किया। पत्थर क्रशर एवं खनन का लाइसेंस निर्गत करने के पूर्व पट्टे धारियों के द्वारा यह शपथ पत्र दिया जाता है कि वह खनन इलाके में वृक्ष लगाएंगे और उसकी रक्षा करेंगे तथा हरियाली को मेंटेन रखेंगे लेकिन इससे अलग हकीकत यह है कि पहाड़ के इलाकों में वृक्ष नहीं के बराबर है ।
- आलेख लेखक के FACEBOOK वाल से साभार
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