लॉक डाउन में माँ की जान बचाने में एक बेटे को क्या क्या परेशानी झेलनी पड़ी
बरबीघा, (शेखपुरा)
भारतीय जनता पार्टी के विधायक नवादा के हिसुआ से अनिल सिंह के बेटे को कोटा से लाने का पास दिए जाने का मामला तो वायरल हो गया परंतु एक मां को कोलकाता से घर लाने के लिए प्रशासन का सहयोग नहीं मिला और उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा यही एक हकीकत है।
विधवा मां के माथे पर दो बेटी और दो बेटे का भार आ गया। उस भार को निभाने के लिए मां ने उसी माथे पर चूड़ी बेचने का संकल्प लिया । गांव-गांव घूम घूम कर अपनी उम्र के 60 वर्ष उसी में गंवा दिए। रोज 10-15 कोस चल चूड़ी बेचकर मिले पैसे से घर का चूल्हा जलता। भूखे बच्चों को रोटी मिलती।
अब जब उनका बेटा फुटपाथ वे चूड़ी बेच कमाने लगा तो वही मां कोरोना वायरस की समस्या में कोलकाता के नोहट्टी क्षेत्र में अपने दूर के रिश्तेदार के यहां एक निमंत्रण में गई हुई थी। 22 मार्च को लॉक डाउन में फंस गई। उसी मां को 9 अप्रैल को पैरालाइसिस मार दिया। ब्रेन स्ट्रोक हो गया। दूर के रिश्तेदारों ने सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां सीटी स्कैन वगैरह कुछ भी नहीं किया गया।
12 अप्रैल को उसे अस्पताल से छोड़ दिया गया। 9 अप्रैल से ही शत्रुघ्न गोस्वामी नामक उसके बेटे ने मां की जान बचाने की जद्दोजहद शुरू की। उसे अपने घर लाने, बढ़िया इलाज कराने के लिए सारी कोशिश की परंतु सभी नाकाम रहे। मित्रों ने भी अपना ताकत लगा दिया परंतु उस बूढ़ी मां को वापस लाने की कोई व्यवस्था नहीं हुआ।
स्थानीय जिला प्रशासन को सूचना देने पर नियम का हवाला देकर बात को टाल दिया गया। टलता भी क्यों नहीं। कोई वीआईपी तो थी नहीं।
पर बेटे ने हिम्मत नहीं हारी। एक रिश्तेदार की मदद से जुगाड़ करके वहां से पास बनवाया। पच्चीस हजार भाड़े देकर उस बूढ़ी मां को अपने पास मंगवाया। वहीं जिला प्रशासन ने सतर्कता के नाम पे बूढ़ी मां और उसके साथ आ रहे रिश्तेदारों को रास्ते में ही रोककर अस्पताल ले गयी। वहां क्वारन्टीन केंद्र में भर्ती करा दिया। वहीं इलाज भी चल रहा है। उस बूढ़ी मां का सैंपल लेकर कोरोनावायरस जांच के लिए भेजा गया है। वायरस की संभावना के बीच उस बेटे ने एक मां को बचाने का संघर्ष अभी तक नहीं छोड़ा है। हकीकत कहानी से अलग भी होती है। जरूरत इसे आँखें खोल कर देखने की भी है…।
रविवार की शाम सभी का रिपोर्ट नेगेटिव
रविवार की देर शाम जांच में भेजे गए सभी 4 व्यक्तियों का जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ गया। उसके बाद सभी अपने-अपने घर भी आ गए।
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