साहित्य: द गैसीयस स्टेट: नौकरी पेशा वालों का छलक गया दर्द
साहित्य: द गैसीयस स्टेट: नौकरी पेशा वालों का छलक गया दर्द
साहित्य डेस्क
सरकारी नौकरी में स्थानांतरण एक प्रक्रिया है परंतु स्थानांतरण की इस प्रक्रिया में स्थानांतरित होने वाले परिवार को कितनी परेशानी होती है उसे ही हास्य व्यंग के माध्यम से उकेरा गया है। सरकारी सेवा के एक अधिकारी ने इसे अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है, वहीं से साभार।
बेटे ने हँसते हुए पूछा,’कोई ऐसा जीव बताओ जो ‘तरल पदार्थ के उदाहरण में ठीक बैठता हो?’
हम बता नहीं पाए,तो उसने समझाया,’बिल्ली-बिल्ली लिक्विड की परिभाषा में पूरी तरह फिट बैठती है।जिस तरह के डब्बे में रखो,उसका आकार ले लेती है..’
पत्नी जी बीच में कूद पड़ी,’एक उदाहरण हम और जानते हैं-सरकारी कर्मचारी का परिवार,कहाँ, चार bhk के घर में थे।आज गेस्ट हाउस के सिर्फ दो छोटे कमरों में फ्रीज,वासिंग मशीन,तीन आलमीरा,एक बुक रैक,एक बेड,एक दीवान, एक ड्रेसिंग टेबल,एक शू रैक,दो बाल्टी,एक इंडक्शन टॉप,एक मिक्सी,एक सैंडविच मेकर…..बक्सा पेटी इत्यादि लेकर सिमटे पड़े हैं…’
समान ट्रक से उतारने वाले मजदूर भी आँखे फाड़कर पूछ रहे थे कि इतना समान इतनी जगह में कैसे….
हमने मुँह लटकाकर कहा,’ये सिर्फ लिक्विड नहीं, गैसीयस स्टेट भी…सेवानिवृति के बाद वातावरण में समा जाएगा…
चलिए फिलहाल इस बिल्ली का किसी के दूध के पतीले में मुंह मारने का समय हो गया है…मिलते हैं,मूंछों पर मलाई के साथ…
🙏🏽जीत
इस खबर को अपनों के बीच यहां से शेयर करें
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!