बंधुआ मजदूर की तरह जीने को विवश है रसोईया, कलेक्ट्रेट पे प्रदर्शन
शेखपुरा।
जिले के सरकारी विधालयो में कार्यरत रसोईया ने शुक्रवार को समाहरणालय के सामने प्रदर्शन किया और धरना का आयोजन किया। आंदोलनकारी रसोईया जीने लायक पारिश्रमिक की मांग कर रहे थे। जिले के स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना को जमीन पर उतरने वाले रसोईया की स्थिति बंधुआ मजदुर से भी बदतर है।
उनके काम की गारंटी भी नहीं है। विधालयो में उन्हें मनमाने तरीकों से रखा जाता है और मनमाने तरीके से हटा भी दिया जाता है। जबकि इनका कार्य स्थायी प्रकृति का है। ठंडा, गरमी बरसात सभी मौसम में इन्हें बच्चों के लिए भोजन तैयार करना है। बाद में रसोईया संघ की ओर से मांगो के समर्थन में जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौपा।
रसोईया पिछले साल के बताया मानदेय के शीध्र भुगतान की मांग कर रही थी। सभी कार्यरत रसोइया को हटाने के नाम पर मानसिक प्रताड़ना बंद करने, खाना तैयार करने के समय चोट या घायल होने पर इलाज का खर्च देने, खाना तैयार करने के समय गैस चूल्हा का इंतजाम करने की भी मांग शामिल है।
रसोईया को मध्यान भोजन के खाना बनाने , परोसने, बर्तन साफ करने, रसोई घर साफ करने के अलावा अन्य कोई काम नहीं लिए जाने और सेवा निवृत होने वाली रसोईया के परिजनों को उसके स्थान पर बहाली की मांग शामिल है।
धरना में लोगो ने आरोप लगाया कि रसोईया का काम मुख्यतः समाज के कमजोर वर्ग की महिला कर रही है। दिन भर खाना में लगे रहने के बाद उसे दूसरा काम करने का मौका नहीं मिल पाता। आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर इन सभी को सरकर द्वारा क़ानूनी संरक्षण प्राप्त होना चाहिए।
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