• Friday, 01 November 2024
अज्ञातवास में भीम ने यहां की थी भोले नाथ मंदिर की स्थापना जानिए

अज्ञातवास में भीम ने यहां की थी भोले नाथ मंदिर की स्थापना जानिए

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अज्ञातवास में भीम ने यहां की थी भोले नाथ मंदिर की स्थापना जानिए

शेखपुरा

शेखपुरा जिले में बाबा कामेश्वर नाथ मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां कई जिले के लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर यहां से भव्य बारात निकालने की भी तैयारी है। बाबा कामेश्वर नाथ के इस मंदिर के बारे में मान्यता पौराणिक काल से चली आ रही है। इस मान्यता की अगर मानें तो अज्ञातवास के दौरान पांडव पुत्र भीम यहां पहाड़ पर रहे थे। यहां उनके द्वारा हिडिंबा से शादी रचाई गई थी।

हिडिंबा की वजह से नाम पड़ा गिरीहिंडा

इसीलिए शेखपुरा नगर परिषद में स्थित इस पहाड़ का नाम गिरीहिंडा पहाड़ पड़ा है। मान्यता यह भी है कि यहां बाबा कामेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना भीम के द्वारा ही की गई थी। महाबली भीम ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर की स्थापना की थी। इसलिए इसे पौराणिक माना जाता है और दूर-दूर से यहां श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं । यहां के पुजारी रामप्रवेश दास कहते हैं कि महाशिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा और जलाभिषेक के लिए आते है। वही यहां से भगवान शिव की बारात निकालने की भी भव्य तैयारी की गई है । प्रत्येक साल यहां से भव्य बारात निकाली जाती है।

यहां स्वप्न में आए थे भगवान शिव फिर बना मंदिर

शेखपुरा जिले के बरबीघा के पिंजरी पंचायत अंतर्गत कुशेडी गांव में भी भव्य शिव मंदिर है। इसे मनोकामना पूरक शिव मंदिर माना जाता है। यहां भी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार सपने में भगवान शिव के आने के बाद जमीन की खुदाई की गई और यहां पंचमुखी भगवान शिवलिंग निकले और यहां मंदिर ग्रामीणों के सहयोग से बनाया गया । यहां भी कई जिले के लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इस पंच बदन स्थान मंदिर को मनोकामना पूरक माना जाता है। बताया जाता है कि बरबीघा प्रखंड के ही बभनबीघा गांव निवासी एक ब्राह्मण छट्ठू गुरुजी भोलेनाथ के दर्शन के लिए देवघर बाबा धाम जा रहे थे। रास्ते में लखीसराय जिले में उन्हें रात्रि में सपना आया कि आप देवघर क्यों जा रहे हैं।

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आपके आस-पास ही भोलेनाथ हैं। वहां जमीन में जाकर खुदाई करिए। कुशेडी गांव सपना में आया।। फिर वे लौट कर आ गए और गांव में खुदाई करवाई तो भोलेनाथ का पंचमुखी शिवलिंग निकला। पंचमुखी शिवलिंग को ऐतिहासिक माना जाता है। आसपास के इलाके में पंचमुखी शिवलिंग कहीं नहीं है।

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