खबरीलाल की खबर: झंडा फहराने में मच गया गदर
हास्य व्यंग्य
खबरीलाल की खबर है कि झंडा फहराने में इस बार गदर मच गया। मचा ऐसा की खूब झाम से लाल टोपी वाले ने अपने ऑफिस को सजा दिया। हरा हरा कालीन बिछाया। तीन रंग के गुब्बारे लगवाए। खूब पताका फहराया। बड़े बड़े तामझाम हुए और रात में भोज भात भी हुआ।
कहते हैं कि ऐसा गदर कभी नहीं मचा। अच्छा है, झंडा फहराने के लिए इसी तरह का उत्साह होना भी चाहिए। रामखेलावन काका कहते हैं कि भाई इस तरह का नजारा तो पहले कभी देखने को नहीं मिला। लाल टोपी वालों ने इस बार काफी खर्च कर दिया है। खर्च करे भी क्यों नहीं । देशभक्ति की भावना किसमें नहीं होती। देश के लिए मर मिटने की बात किसमें नहीं होती। तो इस बार भी कोई होगा जवान जिसने देश प्रेम में गदर मचा दिया। कालीन बिछा दिए । स्वागत में जमकर खर्च किया।
सुना कि रात में भोज भात भी जमकर हुआ है। याद आया, इसमें कई लोगों ने जमकर पेट पूजा की । इसी बीच रामखेलावन चाचा ने पूछ लिया। आंय हो एत्ते खर्चा कने से करो हय। इस सब तो ले अक्षर जानो हय। दे तो नै। तभी उनको गुरु ज्ञान मिला। मग्धड़ काको बताए। मरदे। तोरा नै पता हो। पन्द्रह दिन गाड़ी से जा जा के तसीली होबो है। कत्ते के सूचना मिलते ही बसूली पहुंचा देलक। कत्ते से पहुंच कर ले गेल। कत्ते जे न नुकुर कैलक ओकर नाम नोट हो गेल। बता देबो। रामखेलाबन काका अकचका गए। से हे तो कहिए। इ सब कहिना से एत्ते दानदाता हो गेल।
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