कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां निकलती है कन्हैया जी की पालकी , दो जिलों का होता है संगम
कृष्ण जन्माष्टमी पर यह निकलती है कन्हैया जी की पालकी , दो जिलों का होता है संगम
बरबीघा
बरबीघा नगर परिषद क्षेत्र के नसीबचक में कृष्ण जन्माष्टमी पर जहां भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में भव्य मेला का आयोजन किया जाता है वही इस मंदिर को ऐतिहासिक मंदिर भी बताया जा रहा है। इस पौराणिक मंदिर से हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भव्य पालकी निकालने की परंपरा है।
जन्माष्टमी पर पालकी निकालने की परंपरा आसपास के क्षेत्रों में नहीं देखी जाती। 3 गांव से पालकी निकलता है और उसका एक जगह मिलन होता है। जिसमें 2 जिलों का संगम भी से कहा जाता है। यहां कन्हैया जी का भव्य मेला भी लगता है।
मेला आयोजन समिति के संयोजक एवं विधान परिषद के पीआरओ अजीत रंजन मुन्ना ने बताया कि कन्हैया जी का मेला ऐतिहासिक है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण इस रास्ते से गुजरे थे। जहां मंदिर का निर्माण लोगों ने कराया और यहां पूजा अर्चना की जाने लगी। यहां से कन्हैया जी की पालकी निकलती है और यहां से पालकी निकालने की परंपरा रही है। फिर बगल के नालंदा जिले के अलीनगर गांव, फिर हरगावां गांव से भी मंदिर से पालकी निकलती है और तीनों पालकी का मिलन अलीनगर के बगीचे में होता है यहां कन्हैया जी का भव्य मेला भी लगता है।
पालकी को भगवान कन्हैया के श्रद्धालु कंधे पर उठाए रहते हैं और भव्य मेला का आयोजन होता है। नसीबचक मंदिर का जीर्णोद्धार आईजी रहे स्वर्गीय राजराजेश्वर लाल के द्वारा कराया गया था। उनके द्वारा ही यहां दंगल प्रतियोगिता की शुरुआत की गई थी । जिस परंपरा का अभी भी निर्वहन हो रहा है । हालांकि कोविड-19 समय में इसका असर पड़ा है । इससे लोगों में मायूसी है। इस बार पालकी निकालने की परंपरा नहीं हो रही है।
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