जवाहर नवोदय विद्यालय है या तालाब….सच मे ऐसा भी हो सकता है
शेखपुरा।
तस्वीर देखकर आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि यह तालाब की तस्वीर है या शेखपुरा जिले जवाहर नवोदय विद्यालय की। यह सच की तस्वीर है। शेखपुरा जिला का जवाहर नवोदय विद्यालय हल्की बारिश में ही तालाब में तब्दील हो गया है । स्कूल के छात्र और शिक्षक किस तरह से रह रहे होंगे इसकी कल्पना ही की जा सकती है। यह नजारा फिलहाल का नहीं बल्कि बरसों से यही हाल है।
शेखपुरा नगर परिषद के कई मोहल्ले में यही हाल
जिले में हुई पहली बारिस ने ही शेखपुरा शहर में पानी निकासी की व्यवस्था का पोल खोलकर रख दी। एक ओर जहाँ शहर में पानी निकासी की व्यवस्था अब तक प्रशासन द्वारा सुदृढ़ नही किये जाने के कारण मामूली वर्षा में ही शहर के कई मुहल्लों में जलजमाव की विकराल समस्या हो जाया करती है और यही स्थिति फिलहाल शहर के कई वार्डों और मुहल्लों में उत्पन्न हो गई है।
नगर के वार्ड संख्या 10, 11 का हाल सर्वाधिक बुरा है। लोंगो को जलजमाव के कारण घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। शहर के वाईपास रोड में विशाल नाले का निर्माण न कराये जाने के कारण पहाड़ और बाजार का पानी इन मुहल्लों के निचले इलाके में जमा हो जाता है जो कई महीनों तक यथावत रह कर लोंगो को दुर्गन्ध फैलाते रहता है। ऐसी स्थिति में संक्रामक बीमारियाँ फैलने की आशंका बढ़ जाती है और मच्छर का प्रकोप बढ़ जाता है। इन दोनो वार्डों का पानी हर साल जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश कर जाता है और महीनों तक नवोदय विद्यालय परिसर पोखर के रूप में तब्ब्दील रहता है।
नगर परिषद की लापरवाही
बार–बार इस विद्यालय के प्राचार्य एवं पीटीसी के लोग स्कूल परिसर से जलजमाव को हटाने की गुहार जिला प्रशासन से लेकर नगर परिषद प्रशासन से किया करते है लेकिन आज तक इस जलजमाव को खत्म करने की दिशा में कोई सार्थक पहल नही की गई। जबकि इस स्कूल के पदेन अध्यक्ष खुद डीएम होते है और स्कूल परिसर से सटा ही डीएम आवास है। मालूम हो कि इस विद्यालय में लगभग पांच सौ की संख्या में छात्र – छात्राओं के अलावा दर्जनों शिक्षक एवं शिक्षिका व अन्य कर्मी दिन – रात स्कूल परिसर में ही रहकर पठन – पाठन और शिक्षण कार्य निपटाते है।
कैसे हो पढ़ाई
स्कूल के मैदान , छात्र – छात्राओं के होस्टल , शिक्षकों के क्वार्टर सहित अन्य शिक्षण वार्ड जलजमाव से घिरे है। बालिकाओं को अपने छात्रावास से निकलकर पढने हेतु वर्ग कक्ष जाने के दौरान सडकों पर जमा पानी में मजबूरन घुसकर जाना पड़ता है। इस आवासीय केंद्र सरकार के शिक्षण संस्थान में पढने वाले बच्चों और शिक्षकों को अभी से ही जहरीले जीव जन्तुओं और संक्रामक बीमारियों का भय सताने लगा है। इसी तरह जिला मुख्यालय स्थित कई सरकारी कार्यालय परिसरों से जल निकासी की समुचित व्यवस्था सख्त जरूरत है।
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