बिहार में शराब बंदी हो तो अब ताड़ी बेचने वाले अब बेचेंगे नीरा
शेखपुरा
सूबे में शराब बंदी लागू होने के बाद नशे के आदी या तो गलत तरीके से तैयार किए जा रहे केमिकल युक्त शराब का सेवन कर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं या फिर अवैध रूप से चोरी-छिपे शराब का सेवन कर रहे हैं और ताड़ी का सेवन कर नशा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार की महत्वकांक्षी योजना जीविका द्वारा लगातार नशा मुक्ति अभियान के तहत जागरूकता रैली तथा बैठक कर जीविका दीदियों के साथ-साथ आम जनों को भी जागरूक करने का प्रयास कर रही है।
शेखपुरा जिले में विगत कुछ माह पूर्व से दोबारा नीरा की बिक्री शुरू की गई है। जिले में बिहार दिवस कार्यक्रम के अलावा जीविका के जिला कार्यालय के निकट प्रायः नीरा विक्रय केंद्र पर भीड़ देखा गया है। इसी कड़ी में जिले के सभी छः प्रखंडों के सैकड़ों ताड़ छेदकों (ताड़ी निकालने वालों) की बैठक सह प्रशिक्षण जीविका के जिला कार्यालय में करने की योजना है।
आज इसी क्रम में अरियरी एवं शेखपुरा सदर प्रखंड के 45 से ज्यादा ताड़ छेदकों के साथ बैठक की गई एवं ताड़ी के बदले नीरा बेचने के विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। उक्त बातें जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक संतोष कुमार सोनू ने बताते हुए कहा कि नीरा को एक स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में सेवन किया जाता है। सूर्योदय से पहले यदि निकलने वाले रस को पेड़ से उतार लिया जाता है तो यह नीरा के रूप में पौष्टिक रस या जूस होता है जो स्वाद में मीठा होता है और नशा नहीं करता है।
प्रशिक्षण देते हुए जीविका के युवा पेशेवर सतीश कुमार ने बताया कि वर्तमान में नीरा ना बेचकर ताड़ी की बिक्री कर रहे ताड़ छेदकों को बिना मिलावट के सुबह-सुबह नीरा निकाल कर उसके संग्रहण एवं विपणन पर विस्तृत जानकारी दी गई। आने वाले दिनों में नीरा से विभिन्न उत्पादों का निर्माण कर बिक्री करने की योजना है, जैसे:- नीरा का पेड़ा, गुड़, कैंडी, चीनी, मिश्री एवं आइसक्रीम आदि बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा पारंपरिक रूप से ताड़ के पत्तों के पंखे का निर्माण कर जीविकोपार्जन करने हेतु भी प्रशिक्षण करने की योजना है।
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