सरकारी सर्वे में हुआ खुलासा: बिहार में 14% लोग पी रहे शराब
न्यूज डेस्क
बिहार में 14% लोग शराब पी रहे हैं जबकि दशमलव 5% महिलाएं भी शराब पी रहे हैं। इसका खुलासा किसी और के द्वारा नहीं बल्कि नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे के द्वारा किया गया है। 2019 -20 के तहत किए गए इस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। इस सर्वे में कई और चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं। जिसमें बिहार में कुपोषण के शिकार महिलाओं और बच्चों का मामला भी सामने आया है। जबकि बिहार भर में पोषाहार का मामला आंगनबाड़ी के द्वारा चलता है और कुपोषण से बचाने के लिए कोर्स पोषाहार दिया जाता है। परंतु गर्भवती महिला और बच्चे भी कुपोषण का शिकार है।
40% करते हैं खैनी का प्रयोग
बिहार में 40% पुरुष खाने का प्रयोग कर रहे हैं। जबकि 3.6% महिलाएं भी कहने का प्रयोग करती है। यह खुलासा भी नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे में हुआ है। सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि शादी के बाद 40% महिलाओं को पति के द्वारा घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। 18 से 49 वर्ष की महिलाएं इस हिंसा का शिकार हो रही है। जबकि 7 दशमलव 1% 18 से 29 वर्ष की महिला यौन शोषण का शिकार हो रही है। सर्वे में ये आंकड़ा भी सामने आया है।
67% बच्चे कुपोषित
सर्वे रिपोर्ट में यह मामला चौंकाने वाला आया है। हालांकि पहले के सर्वे में 63% बच्चे कुपोषण का शिकार थे। परंतु यह मामला बढ़ गया है। जबकि आंगनबाड़ी के द्वारा पोषाहार का वितरण भी किया जाता है। वैसे में पोषाहार वितरण में गड़बड़ी का खुलासा भी हुआ। कुपोषण का शिकार 6 महीने से लेकर 59 महीने तक के बच्चे 68% कुपोषण का शिकार हो गए हैं । गर्भवती महिला 56% कुपोषण का शिकार हैं जबकि पहले 58% ही कुपोषण का शिकार रहती थी। वहीं वहीं 66% सामान्य महिला कुपोषण का शिकार हैं।
शेखपुरा जिले में 23% लोग पी रहे हैं शराब
शराब बंदी में शेखपुरा जिले में बिहार में सबसे अधिक शराब पीने का मामला सामने आया है। यहां 23% प्रतिशत लोग शराब पी रहे हैं। हालांकि यहां कुपोषण का मामला भी सामने आया है। 80% बच्चों के कुपोषण के शिकार होने का खुलासा किया गया है। खैनी का प्रयोग करने वालों का आंकड़ा जिले में 45% है। यहां दशमलव 2% महिलाएं भी शराब का सेवन करती हैं। 54% लड़कियों की नाबालिक अवस्था में शेखपुरा जिले में शादी हो रही है। परिवार नियोजन का प्रयोग महिलाओं के द्वारा भी किया जा रहा है। बंध्याकरण 44% महिलाएं करा रही है । हालांकि नसबंदी कराने में पुरुष का आंकड़ा बहुत पीछे है दशमलव 2% पुरुष नसबंदी करा रहे हैं।
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