GOOD NEWS: जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों : बदमाशों ने ले ली थी जान, गैर ने बचाया, आप भी करिए मदद
जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों : बदमाशों ने ले ली थी जान, गैर ने बचाया, आप भी करिए मदद
बरबीघा, शेखपुरा
जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों। जी हां यह अक्सर सच होता है। ऐसा ही एक मामला बरबीघा के दरियाचक गांव निवासी पिंटू साव के साथ भी हुआ है। जिंदगी और मौत से जूझ रहे पिंटू साव को दूसरों ने ही बचाया है और अभी और संघर्ष के दौर में कई लोग मदद में सामने आ रहे हैं। वही एक मरणासन्न आदिवासी अज्ञात व्यक्ति भी अपने पैरों पर खड़ा हो गया है। जिसको देखने के बाद लोग यही कह रहे हैं। जात के आधार पर समाज को बांटने के लिए प्रयास करने वालों के मुंह पर भी यह एक तमाचा है। यहां जात-पात से ऊपर उठकर मदद की जा रही है।
ताजा मामला बरबीघा के दरियाचक निवासी पिंटू साव का है । पिंटू अपने गांव से खेतलपूरा होकर बरबीघा बाजार जा रहे थे तभी तो खेतलपुरा में एक सीएसपी सेंटर पर गांव के बदमाशों ने हमला कर दिया और उसकी जमकर पिटाई कर रहे थे। इसी बीच पिंटू के मोबाइल पर एक कॉल आ गया और पिंटू उससे बात करने लगा । बदमाशों को लगा कि पिंटू पुलिस को सूचना दे रहा है और दक्षिण फिल्म के हथियारों के तर्ज पर साइकिल के चैन से बनाए गए हथियार से पिंटू के सर पर बदमाशों ने हमला कर दिया।
गरीब आदमी का इलाज कराने में लोगों से सहायता की अपील
गंभीर रूप से पिंटू जख्मी हो गया। बताया जाता है कि पिंटू काफी गरीब है। गांव में एक किसान के मछली तालाब की रखवाली का काम करता था। यह भी बताया जाता है कि मछली तालाब के रखवाली के किसान के द्वारा पिंटू की बहुत मदद की गई और निजी अस्पताल में उनके द्वारा भर्ती कराया गया और ₹2 लाख इलाज में खर्च किए गए। हालांकि पिंटू की जान बच गई परंतु ₹1 लाख और खर्च होने की बारी आई तो बरबीघा में संचालित एम 4 सेवा संस्थान के स्थानीय संचालक तथा माउर निवासी सत्येंद्र सिंह ने मदद की ।
उन्हें आर्थिक मदद कर संस्था के आवासीय परिसर में लाएं और उनकी देखभाल कर रहे। पिंटू की पत्नी कंचन देवी बताती है कि दूसरों की सहायता से ही आज उनके पति के जान बचने के आसार बने हैं। हालांकि अभी और संघर्ष का दौर है और लोगों से सहायता की मांग कंचन देवी कर रही है। सत्येंद्र सिंह ने बताया कि कंचन देवी काफी गरीब है। इसके बच्चों की पढ़ाई निशुल्क उनके संस्था में ही हो रही है। गरीब आदमी का इलाज कराने में लोगों को सहायता करनी चाहिए। बता दें कि दिलीप नामक एक आदिवासी मजदूर को तोयगढ़ गांव के किसान ने मरने के लिए छोड़ दिया। जिसे तीन महीने पीएमसीएच में इलाज कराकर स्वस्थ कराने के बाद सत्येंद्र सिंह उसे अपने संस्थान में लेकर आए हैं। आज वह चलने लगा है तो यह कहा जा रहा है कि जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों।
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