• Friday, 01 November 2024
सत्य के साथ भगवान हर क्षण खड़े रहते हैं - राधा किशोरी

सत्य के साथ भगवान हर क्षण खड़े रहते हैं - राधा किशोरी

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सत्य के साथ भगवान हर क्षण खड़े रहते हैं - राधा किशोरी

शेखपुरा 

 

शेखपुरा  मारवाड़ी विवाह भवन में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। सात दिवसीय इस भागवत कथा में वृंदावन की भागवत कथा वाचिका राधा किशोरी के द्वारा भागवत कथा का पाठ किया जा रहा है। इस भागवत कथा में बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं की उपस्थिति होती है। भागवत कथा में श्रीमद्भागवत गीता में उद्धृत कई प्रसंगों का वर्णन और विश्लेषण राधा किशोरी के द्वारा विशेष तौर पर किया जा रहा है।

 

कथावाचक राधा किशोरी के पावन मुखारविंद से कथा में मंगलाचरण करके सभी के सुख के लिए प्रार्थना की और भजन को सर्वदा पूज्य बताते हुए सबको भजन करने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने सुखदेव जी महाराज का चरित्र  श्रवण करा कर के भजन काया की हवेली एक दिन छोड़नी पड़ती है पर उपस्थित श्रद्धालुओं को झुमाया। वहीं  भोलेनाथ जी का पावन चरित्र श्रवण करा कर के अमर कथा के महिमा का वर्णन किया और बताया श्रीमद् भागवत भगवान का पंचम वेद अपना ही स्वरूप है जो भगवान ने जगत का कल्याण करने के लिए धरा धाम पर छोड़ा हुआ है हमको चाहिए कि भागवत भगवान का श्रवण करके अपनी मुक्ति को पाने के लिए अग्रसर हो जब तक जगत की सत्यता  का पता नहीं लगता तब तक सब अपने लगते हैं इसलिए परम पूज्य राधा किशोरी ने पांडवों का चरित्र श्रवण कराते हुए बताया पांडवों के साथ भगवान खड़े थे क्योंकि वह सत्य के साथ रहे हर क्षण हर संकट में सत्य के साथ ही रहते हैं हम सभी को भी सत्य का ही सेवन करना चाहिए सत्य के समान कोई पुण्य नहीं है और झूठ के समान कोई पाप नहीं है पूज्य राधा किशोरी ने बताया भगवान का भजन सत्य है और जगत झूठा है एक सपना है भगवान के नाम से जो दूर हैं उन्हें विपत्ति घेर लेती है भगवान से जो जुड़े हैं उन्हें प्रभु कि भक्ति अपनी ओर खींच लेती है । 

 

 

 परम पूज्य राधा किशोरी ने बताया भीष्म पितामह जी महाराज को अंतिम दर्शन देकर के भगवान ने अपना बैकुंठ प्रदान किया जैसी भीष्म पितामह की इच्छा और आशा थी वैसे ही इच्छा और आशा हम सभी की होनी चाहिए इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले गोविंद नाम लेकर मेरे प्राण तन से निकले भगवान द्वारिकाधीश बालकृष्ण प्रभु की झांकी का दर्शन कर पितामह जी की झांकी दर्शन कर भक्तों ने भगवान की कथा का लिया ।

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भागवत कथा के पाठ के दौरान उन्होंने कहा कि पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्री कृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आए इसीलिए वह मिट्टी में रहते थे। मिट्टी से नहाते थे । खेलते थे और खाते थे । जब माता यशोदा को किसी ने कहा कि भगवान कृष्ण मिट्टी खा रहे हैं तो माता ने उन्हें मुंह खोलने के लिए कहा तो मुंह के अंदर समस्त सृष्टि का दर्शन उनको हो गया और वह बेहोश हो गई।

 

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