भूतविद्या से बाबा विद्या तक, विश्वगुरु बनने की दिशा में ये दोनों ही महत्वपूर्ण
भूतविद्या से बाबा विद्या तक, विश्वगुरु बनने की दिशा में ये दोनों ही महत्वपूर्ण
साहित्य डेस्क/व्यंग्य
आजकल बीएचयू में भूतविद्या और उपला निर्माण की चर्चा है। विश्वगुरु बनने की दिशा में ये दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। इन विषयों का वैश्विक प्रसार शीघ्र किया जाना और इनकी शिक्षण पद्धति की पेटेटिंग और ब्रांडिंग ज़रूरी है।
इनके अलावा देश के शीर्ष संस्थाओं में कुछ अन्य इनोवेटिव पाठ्यक्रम लागू किया जाना जरूरी है। मसलन राजनीतिशास्त्र के कोर्स के साथ ‘दलबदल और मिथ्यावाचन’ का ऐड ऑन कोर्स चलाया जाय। ये विषय हमारे प्रजातांत्रिक मूल्य को सुदृढ़ करने में कारगर सिद्ध होंगे। हमारे अभियंत्रण महाविद्यालयों में मंदिर निर्माण के लिए वास्तुशिल्प का एक अलग पत्र जोड़ा जाना चाहिए।
साथ ही स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर एक अलग गोविज्ञान विषय तथा चिकित्सा महाविद्यालयों में गोचिकित्सा (cow medicine)विभाग की स्थापना का प्रस्ताव ज़रुरी है। इसके अलावा भारत चूंकि दुनिया भर में संपेरों और टोने टोटकों के देश के रूप में विख्यात रहा है इसलिए सर्प मोहन कला और टोना टोटका विज्ञान की पढ़ाई शुरू की जाय। हाल में हमारे छात्रों में पारंपरिक वस्त्रों में बढ़ती अभिरुचि को देखते हुए वस्त्र धारण कला पर एक कोर्स भी आवश्यक है।
इनके अतिरिक्त इन दिनों बाबाओं के बढ़ते स्कोप के कारण ‘बाबा मेकिंग’ का कोर्स भी जल्द ही हमारी संस्थाओं में शुरू किया जाना लाज़मी है। इन पाठ्यक्रमों से रोजगार सृजन भी होगा और हमारा खोया गौरव भी वापस होगा।
यह व्यंग्य रचना साहित्यकार एवं मुंगेर विश्वविद्यालय निरिक्षक प्रो डाॅ भवेश चंद्र पांडेय के Facebook साभार प्रकाशित
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