मगही फ़िल्म विधना नाच नचावे का हुआ प्रमोशन, छह दशक बाद मगही फ़िल्म
बरबीघा।
विधना नाच नचावे का प्रमोशन
मगही भाषा विकास हेतु मगही लेखक व साहित्यकार प्रभात वर्मा द्वारा निर्माता निदेशन में बनी फिल्म विधना नाच नचावे का प्रमोशन जगदीश टॉकीज बरबीघा में किया गया. फिल्म प्रमोशन में कलाकारों ने फिल्म शूटिंग में संस्मरणों को बताया.
निदेशक प्रभात वर्मा ने जानकारी देते बताया कि विधना नाच नचाबे के सारे गीत कथा-पटकथा मेरे द्वारा ही लिखा गया है. फिल्म में छठ गीत, विवाह गीत, आइटम सांग, टाईटिल सांग, प्रेम गीत समेत सात गाने है. छह दशक बाद मातृभाषा मगही के प्रति अपने लगाव , मगही के विकास को समर्पित, संकल्पित प्रभात वर्मा ने अपने जीवन भर की जमा-पूंजी लगाकर “विधना नाच नचाबे” प्रभात प्रोडक्शन के वैनर तले निर्मित किया गया। समाजिक पारिवारिक मगही फिल्म का नाम “विधना नाच नचाबे ” है, इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक, कथाकार, गीतकार,कलाकार प्रभात वर्मा है।
छायाकंन पी एस राठौर,राकेश रौशन के साथ मुकेश चित्रांश ने की है और निर्माण सहायक प्रमिला वर्मा, गोपी कृष्णा है, भोजपुरी फिल्म के चर्चित निदेशक संजय सिंहा भी सहयोगी रहे है।
इस फिल्म को संगीत से सजाया है, मुम्बई के रितेश मिश्रा और पटनासिटी के पप्पू जिमी गुप्ता ने,गीतो को स्वर दिया है,मुम्बई के रूपेश मिश्रा और स्थानीय गायक गायिकाओ मे आलोक चौवे ,सुमितभट्ट,खुशबु उतम ने।
फिल्म की कथा एक गाँव की अनाथ बच्ची के जीवन से जुड़ी हुई है, जो अपने माता-पिता, चाचा- चाची के बाद एक साधु के साथ जीवन जीते समाजिक व्यवस्था की शिकार होती है और साधू की मृत्यु के बाद समाज के एक ऐसे संभ्रात व्यक्ति के शरण मे जाती है ,
जो उसे अपने घर के लोगो मे स्थान देने के साथ वेटी- बहू वनाकर उसी के सहारे, जिंदगी चलाने आउर उसे समाजिक धारा से जोड़ने मे सफल होते है ।
फिल्म मे सात गाने है, जिनमे टाइटिल सांग के अलावे छठ , विवाह गीत ऑइटम सांग,चुनाव जागरूकता गीत, आधुनिक निर्गुण, प्रेम गीत मे प्रभात वर्मा ने,अपनी साहित्य कला, क्षमता का भरपूर प्रदर्शन करते हुए जो गीत लिखे है, वह गले मे कंढाहार बनने की क्षमता लिये ग्राहय है।
इस फिल्म के मुख्य कलाकारो मे मास्टर दरोगी का किरदार निभाया है, प्रभात वर्मा ने वही मुकेश चित्रांश गांव के बडाहील , अंशिका वर्मा,अनाथ, छोटी रधिया, अनुप लाल त्रृषी, साधु-संत, सरवीन कुमार, खलनायक ब्रजेश कुमार,पुलिस दरोगा,चन्द्रमणी पांडे, प्रमुख पंचायत सेवी, कृतन अजीतेश ,समाजसेवी मथुरा प्रियंका सिन्हा, बड़ी रधिया, एश्वर्या झा, आश्रम के ट्रेंनर डॉक्टर सविता मिश्र “मागधी ” गांव की संभ्रात महिला,पूजा वर्मा, दलित मुखिया, लालबहादुर गांव का चौकीदार और ममता, नाटू बडाहील की पत्नी ने प्रमुख भूमिका निभाई है,इस फिल्म मे जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड से U श्रेणी का दर्जा प्राप्त है।
प्रभात वर्मा की पहचान कलम के सिपाही के रूप मे रहा है , जो अपने चार दशक की पत्रकारिता मे अच्छाई,बुराई को उजागर करते हुए “दस्तक प्रभात” समाचार-पत्र के संपादक भी है।
श्री प्रभात वर्मा ने अपनी साहित्य कला क्षमता का भरपूर प्रदर्शन इस फिल्म के माध्यम से किया है और मगही भाषा को स्थापित करने की कोशिश मे सदैव लगे हुए है ।
श्री वर्मा ने अपनी साहित्य कला का माध्यम मगही भाषा को वनाकर 1980 से लेकर अब तक कुल दर्जनो पुस्तक की रचना की है। जिनमे विधाता के विधान,करमलेख,तमाशबीन, कलमुही,लिलकहवा , बिहार के इ अनमोल रत्न, बिधना नाच नचाबे जैसी कृतिया प्रमुख है ।
इसके पहले 1990 के दशक मे भी श्री वर्मा ने मगही टेली फिल्म लिलकहवा के साथ हिन्दी मे साधना, तन्हाई वनाकर दर्शको के समक्ष पेश किया था । श्री वर्मा 35 वर्षो से अपने साहित्य कला हुनर को आकाशबाणी और दूरदर्शन के माध्यम से भी प्रकाशित -प्रचारित किया और कर रहे है ।
श्री वर्मा ने अपनी मातृभाषा मगही भाषा को स्थापित करने का भरपूर प्रयास किया है और पाच दशक से भी ज्यादा समय तक कुंद मगही भाषा की समाजिक फिल्म -विधना नाच नचाबे जैसी कृतिया दर्शको के समक्ष पेश किया है । इतना ही नही मगही भाषा को स्थापित कराने के लिए जमीनी संघर्ष मे भी जूटे रहते है।
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