आजादी के सात दशक बाद भी खटिया पर पांच किलोमीटर पैदल मरीज जाते हैं अस्पताल
आजादी के सात दशक बाद भी खटिया पर पांच किलोमीटर पैदल मरीज जाते हैं अस्पताल
घाटकुसुंभा (शेखपुरा)
आजादी के 7 दशक बाद भी गांव में यदि पक्की सड़क नहीं हो तो लोगों की जान गंभीर बीमारी के स्थिति में अस्पताल से पहुंचने से पहले ही चली जाती है। गंभीर रूप से बीमार मरीज को अस्पताल तक ले जाने के लिए लोग खटिया का प्रयोग करते हैं और 4 लोग खटिया को उठा कर 5 किलोमीटर पैदल यात्रा करते हुए मरीज को अस्पताल तक ले जाते हैं। कभी-कभी ऐसे मामलों में गंभीर मरीजों की जान भी चली जाती है।
नदी में डूबे ऐसे मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए इसी तरह से खटिया पर रखकर 5 किलोमीटर पैदल ले जाते हुए ये लोग घाटकुसुंभा प्रखंड के पानापुर गांव के निवासी हैं। यहां के 55 वर्षीय किसान प्रभु चौरसिया ने की मौत नदी में डूबने से बुधवार को हो गई थी। जिसके बाद उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की प्रक्रिया गांव वालों ने की गांव तक पक्की सड़क की व्यवस्था नहीं होने से शव को खटिया पर रखा गया और फिर उसे माथे पर उठाकर 5 किलोमीटर पैदल चलते हुए बाउघाट पहुंचा गया। फिर वहां से गाड़ी रिजर्व कर सदर अस्पताल शेखपुरा पोस्टमार्टम करने के लिए ले जाया गया। आजादी के 7 दशक बाद भी यदि गांव में ऐसी स्थिति है तो विकास के दावे दुखी करने वाले होते हैं। ऐसा कहना है गांव के कई ग्रामीणों का।
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