• Friday, 01 November 2024
इस सरकारी स्कूल में पीरियड आने के अब छात्रा नहीं बनाती पेट दर्द का बहाना, क्या हुआ जानिए..

इस सरकारी स्कूल में पीरियड आने के अब छात्रा नहीं बनाती पेट दर्द का बहाना, क्या हुआ जानिए..

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बरबीघा, शेखपुरा।

वैसे तो सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों के मन में नकारात्मक छवि ही रहती है परंतु शेखपुरा जिले के बरबीघा का एक स्कूल अपनी सकारात्मक और रचनात्मक गतिविधियों से निजी और सरकारी स्कूल के लिए मिसाल पेश कर रहा। यह स्कूल शेखपुरा जिले के बरबीघा नगर का कन्या पाठशाला मध्य विद्यालय है।

इस मध्य विद्यालय में छात्राओं के लिए सैनिटरी पैड बॉक्स तो लगाया ही गया है साथ ही साथ मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड बदलने और उसके डिस्पोजल की व्यवस्था भी सुचारू ढंग से की गई है। साथ ही साथ स्कूल में पेयजल की उचित व्यवस्था एवं पुराने कुएं को भरकर वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था भी कर दी गई है।


लगाया गया है सेनेटरी पेड बॉक्स

कन्या मध्य विद्यालय में जहां 290 छात्राओं का नामांकन है वहीं 230 से 240 छात्राओं का प्रतिदिन उपस्थिति भी होती है। यहां 9 शिक्षकों के सहारे नियमित वर्ग संचालन किया जाता है।

स्कूल में कन्याओं के मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने और उसे बदलने की सुचारू व्यवस्था की गई है। स्कूल के शौचालय में मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है और शौचालय के अंदर एक बॉक्स बनाकर उसमें ताला लगा दिया गया है। बॉक्स में सेनेटरी पैड रखा हुआ होता है और जरूरत के समय छात्राएं बाल संसद की प्रधानमंत्री रज्जू कुमारी से संपर्क करती हैं और उससे सेनेटरी पैड खरीदा जाता है और फिर चाबी लेकर सेनेटरी पैड बॉक्स खोल कर बदल लिया जाता है।

इतना ही नहीं शौचालय के अंदर ही सेनेटरी पैड के डिस्पोजल की भी व्यवस्था की गई है। एक छिद्र के माध्यम से सैटरी पैड डिस्पोजल की व्यवस्था है। जो बाहर बने एक बॉक्स में जाकर गिरता है और वहां से सफाई कर्मी उसे नियमित लेकर चले जाते हैं। स्कूल में शिक्षक अपने खर्चे से सफाई कर्मी में नियमित सफाई खर्च उठाते है।

इसको लेकर स्कूल के प्रधानाध्यापक विनोद कुमार सुधीर कहते हैं कि छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान स्कूल से छुट्टी लेना आम बात थी परंतु उससे छुटकारा के लिए यह व्यवस्था की गई है। अब छात्राएं मासिक धर्म के दौरान स्कूल से अवकाश नहीं लेती। साथ ही साथ मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड के उपयोग के प्रति भी जागरूक किया जाता है। इतना ही नहीं सभी के खाते में सेनेटरी पैड का जो पैसा जाता है उसका उपयोग भी सही तरीके से हो जाता है।

पुराने कुएं से वाटर हार्वेस्टिंग

स्कूल घटते हुए जल स्तर से परेशान लोगों के लिए भी एक मिसाल है। यहां पुराने और खत्म हो चुके कुआँ को फिर से खुदाई कराकर उसे वाटर हार्वेस्टिंग के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। बारिश का पानी हो अथवा स्कूल में उपयोग किए गया पानी, सभी कुआं में जाता है और इससे वाटर हार्वेस्टिंग हो जाती है।

सभी की निगरानी बाल संसद द्वारा

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दरअसल स्कूल के बाल संसद की सक्रियता से सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है। प्रधानाध्यापक बताते हैं कि बाल संसद की प्रधानमंत्री जहां स्वच्छता से लेकर पेयजल और छात्राओं में सेनेटरी पैड उपयोग करने को लेकर सभी को जागरूक करती है वही बाल संसद की खाद्य सुरक्षा मंत्री प्रीति कुमारी और गुड़िया कुमारी के द्वारा एमडीएम का देखभाल किया जाता है। एमडीएम में किस दिन किस मेनू से खाना बनेगा और कितनी मात्रा में सभी सामान उपलब्ध कराना है इसकी पूरी मॉनिटरिंग और निर्णय छात्राएं स्वयं करती हैं।

पेयजल की है सुचारु व्यवस्था

स्कूल में पेयजल की भी सुचारू व्यवस्था है यहां बोरिंग के माध्यम से पानी की उपलब्धता कराई गई है जिसमें स्वच्छता अभियान के तहत हाथ की सफाई इत्यादि पर भी प्रमुख ध्यान दिया जाता है।

बाल संसद की प्रधानमंत्री रज्जू कुमारी कहती हैं कि सेनेटरी पैड बॉक्स और उसकी डिस्पोजल की व्यवस्था होने से छात्राओं में काफी खुशी है और वह अवकाश नहीं लेती और नियमित रूप से क्लास में पढ़ाई करती है।

कौन-कौन है बाल संसद में

स्कूल के बाल संसद में प्रधानमंत्री रज्जू कुमारी, उपप्रधानमंत्री काजल कुमारी, शिक्षा मंत्री अनुराधा कुमारी, उप शिक्षा मंत्री स्वाति, कृषि मंत्री पूनम कुमारी, उप कृषि मंत्री खुशबू कुमारी, स्वास्थ्य मंत्री सिमरन कुमारी, उप स्वास्थ्य मंत्री सिमरन प्रवीण, खेल मंत्री सपना कुमारी, उप खेल मंत्री सलोनी कुमारी, पुस्तकालय मंत्री काजल कुमारी, उप पुस्तकालय मंत्री शबनम कुमारी, खाद सुरक्षा मंत्री प्रीति कुमारी, उप खाद्य सुरक्षा मंत्री गुड़िया कुमारी, आपदा प्रबंधन मंत्री सुमन कुमारी, उप आपदा प्रबंधन मंत्री अंजली कुमारी है।

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